(सुनील) 7827829555 http://www.sunilvani.blogspot.com/
पश्चिमी सभ्यता को बिना देरी और बिना झिझक अपनाने वाले हम भारतीय पिछले कुछ सालों से वैलेंटाइन डे को इस तरह से मनाने लगे हैं, जैसे भारत का यह अभिन्न त्योहार रहा हो। ये अलग बात है कि वैलेंटाइन मनाने वाले बहुत कम युवक-युवतियों को पता होगा कि आखिर यह मनाया क्यों जाता है। वैसे देखा देखी करना भी हम भारतीयों की कई आदतों में से एक है। सो वैलेंटाइन भी देखा-देखी मनाने लगे। इस चीज का विरोध करने वाले भी कम नहीं हैं। क्योंकि 14 फरवरी को इस रूप में मनाया जाता है कि यह केवल प्रेमी युगलों के लिए ही है। खास कर नवयुवक-नवयुवतियों के लिए। तो अब भला जिसमें बडे-बुजुर्ग शामिल न हों तो उन्हें तो खराब लगेगा ही, और जिनके जोडे नहीं हैं, वे भी विरोधियों के लिस्ट में शामिल हैं। अतः भारतीय परंपरा के अनुरूप वैलेंटाइन डे को कुछ इस रूप में मनाया जाए जिससे एक विशेष वर्ग नहीं अपितु सभी संप्रदाय, सभी उम्र के, सभी वर्ग के लोग शामिल हों। ताकि कहीं से कोई विरोध का स्वर न उठे और भारतीय संस्कृति और परंपरा की गरिमा भी बनी रहे। तो क्यों न हम इसे 'भारतीय प्रेम दिवस' के रूप में मनाएं जहां बडे-बूढों का प्रेम-आशिर्वाद भी शामिल हों। जहां छोटे से लेकर बडे तक इस भारतीय प्रेम दिवस में शामिल हो सकें और दुनिया को प्रेम का पाठ पढाने वाले हम भारतीयों को किसी और से सीखने की जरूरत न पडे बल्कि हम अपनी परंपरा और संस्कृति में दूसरे को भी समाहित हो जाने को मजबूर कर दें।
प्रेम दिवस पर शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंइसे 'भारतीय प्रेम दिवस' के रूप में मनाएं ....
जवाब देंहटाएं'भारतीय प्रेम दिवस' के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ.
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