सुशील कुमार जी को नुक्‍कड़ और समूह के अन्‍य ब्‍लॉगों की जिम्‍मेदारी से मुक्‍त कर दिया गया

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • निगाह फेर ली हैं मैंने

    स्‍वयंभू कवि सुशील कुमार जी को नुक्‍कड़ और समूह के अन्‍य ब्‍लॉगों पर लेखन की जिम्‍मेदारी से मुक्‍त कर दिया गया है। आप परिचित ही हैं कि वे अपने स्‍वयं के ब्‍लॉगों और वेबसाइटों पर लेखन से पहले ही दूर हो चुके हैं। उनके इंटरनेट पर जुड़े रहने के कारण ही हिन्‍दी साहित्‍य जगत ऐसे साहित्‍य से वंचित हो गया है, जिसकी पूर्ति असंभव है। इसलिए नुक्‍कड़ समूह ने यह तय किया है कि वे नेट से दूर रहकर हिन्‍दी साहित्‍य और साहित्‍यकारों (जो नेट पर नहीं हैं और न आना ही चाहते हैं) के साथ साहित्‍य की समृद्धि में जुटे रहें।
    वैसे हमारी सलाह है कि हिन्‍दी साहित्‍य के हित के लिए उन्‍हें अपने ई मेल खाते इत्‍यादि भी तुरंत प्रभाव से बंद कर देने चाहिए और अपनी रचनात्‍मक ऊर्जा को अपनी सरकारी नौकरी की बेहतरी और हिन्‍दी साहित्‍य की बेहतरी के लिए चालू रखना चाहिए।
    वैसे भी उनका इंटरनेट से अलग रहना हिन्‍दी ब्‍लॉगहित में ही रहेगा। वैसे उनकी लिखी पोस्‍टें और उनका अनमोल साहित्‍य इंटरनेट पर मौजूद रहेगा परंतु यदि उन्‍हें इस पर भी आपत्ति होगी तो उसे भी हटाने के लिए प्रयास किए जायेंगे।
    अपनी रचनात्‍मक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए उनके हित में यह भी रहेगा कि वे रातों को जाग जागकर अन्‍यों (खासकर मेरे ऊपर निगाह रखने) कार्यों में अपना समय बरबाद न करें क्‍योंकि मैं तो सो जाता हूं परंतु अपनी पोस्‍टें शेड्यूल कर देता हूं जिससे सुशील कुमार जैसे लोग यह समझते रहें कि मैं सोता ही नहीं हूं या मुझे नींद न आने की बीमारी है और अपने कंप्‍यूटर को तो मैं तनिक भी आराम नहीं देता हूं। एक कंप्‍यूटर बंद करता हूं और एक पर अपनी मेल हमेशा खोले रखता हूं।
    खैर ... इतना ही क्‍योंकि मुझे अभी एक व्‍यंग्‍य (अरे सुशील कुमार जी पर नहीं, वे तो मेरे अनुज हैं) एक पत्रिका के स्‍तंभ के लिए लिखना है।
    आज तो मैं सचमुच में जाग रहा हूं और रात को दो बजे से पहले सोने का इरादा भी नहीं है।

    21 टिप्‍पणियां:

    1. आप ब्लॉग माडरेटर हैं, आपका अधिकार है।

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    2. बड़े बेआबरू हो कर तेरे नुक्‍कड़ से हम निकले ... बहुत निकले मेरे अरमान ... फिर भी कम निकले!

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    3. आयें हैं जो भी , एक दिन जाने के लिए.
      अभी चले गये तो क्या बात हैं..

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    4. avinaash ji .....

      main kya kahun ..aap meri bahaavnao ko jaante hai ... jai ho gurudev.

      aapka
      vijay

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    5. क्या कहें, क्या न कहें ये कैसी मुश्किल हाय...!! वैसे अविनाश जी जो भी कहते हैं सोच समझकर ही कहते हैं...

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    6. यद्यपि मैं सुशील कुमार जी के साहित्य अथवा नुक्कड़ पर उनके योगदान से परिचित नहीं हूं,निवेदन है कि इस प्रकार के पोस्ट दोनों पक्षों की मर्यादा के अनुकूल नहीं हैं। हर संबंध का एकदिन टूटना निश्चित होता है। यदि दो पल के लिए भी किसी से आत्मीयता रही हो,तो विदा करते वक्त भी आभार व्यक्त करने में ही अपनी मर्यादा है। ब्लॉग में योगदान का लिंक वापस लेना ही पर्याप्त होता।

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    7. हर सामूहिक ब्लॉग की अपनी एक मर्यादा होती है और मर्यादा के दायरे में रहकर ही सदस्यों को अपने-अपने कर्तव्यों का निर्बाह करना होता है ....मर्यादा का अतिक्रमण करके नहीं !
      अविनाश जी की बातों से सहमत हूँ !

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    8. मर्यादा का अतिक्रमण? मर्यादा?

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    9. याद कीजिये जब मैने उनसे संबंध तर्क़ किये थे तो क्या कहा था?

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    10. मर्यादा का पालन तो नैतिक जिम्मेदारी है सभी की.

      ब्लॉग मॉडरेटर का निर्णय उसी का अधिकार क्षेत्र है.

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    11. कर्तव्यों का निर्वहन और अधिकारों का प्रयोग तो होना ही चाहिए!

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    12. @ ashok ji , mujhe yaad hai .. aap bhi mere saath the us waqt . thanks

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    13. नुक्‍कड़ के ब्‍लाग मॉडरेटर आप हैं। किसे रखें और किसे निकालें आप तय कर सकते हैं। लेकिन व्‍यंग्‍य में ही सही किसी का चरित्रहनन करना आपको शोभा नहीं देता।

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    14. अविनाश सुपुत्र
      चिरंजीव भवः
      आप को जैसा अच्छा लगे हमे कोई ऐतराज नहीं
      धन्यवाद

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    15. @ राजेश उत्‍साही

      आप से इस संबंध में मेल पर बातचीत हो चुकी है। यदि पाठकों की मांग हो तो क्‍या उसे आप टिप्‍पणी में दे सकेंगे।
      सादर/सस्‍नेह

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    16. गायब नहीं हुए हैं अपना कविता संग्रह लेकर आ रहे हैं तुम्‍हारे शब्‍दों से अलग। तब सब के मुंह और कलम दोनों बंद हो जाएंगे। मैं उनकी कविताओं की फैन हूं!

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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