बैंड.......बाजा........बंदूक .......!

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  • डॉ. मोनिका शर्मा
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  • यह ज्यादा विचारणीय इसलिए भी है क्योंकि ये सिर्फ दुर्घटनायें नहीं हैं। समाज में मौजूद मानसिकता और अहम की भी बानगी है। यह भी एक तरह का शक्ति प्रर्दशन है जो मुझे किसी सामंती परंपरा से कम नहीं लगता। पूरी पोस्ट पढने के लिए यहाँ कृपया यहाँ जाये ........
     
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