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घूंसा जो पड़ गया तो ... |
स्पष्ट दिखता है कि आने वाले समय में जब हिंदी ब्लॉगर के कार्य को देखने समझने के लिए न सिर्फ़ मीडिया , प्रशासन , और साहित्यकारों को बाकायदा अनुमति लेनी होगी और शायद कुछ शुल्क भी अदा करना पड जाए । तब वो पोस्ट जो किसी समाचार पत्र के किसी पन्ने पर छपी हुई खबर के रूप में , कोई पोस्ट , सरकारी योजना और उससे जुडे भ्रष्टाचार की कलई खोलती एक्सक्लुसिव समाचार के रूप में सामने आएगी ।
आज सिनेमा देख कर एक दर्शक के रूप में , किसी घटना को देखकर एक नागरिक पत्रकार के रूप में , किसी जानकारी खोज को साझा करती हुई कोई पोस्ट जब लोगों के सामने आएगी तो स्वाभाविक रूप से वो आम आदमी उस दुनिया में झांकने की कोशिश तो जरूर ही करेगा जहां से ऐसी खबरें और पोस्टें निकल के आ रही हैं । यहां ये दलील देने वालों , कि अंतर्जाल की पहुंच आज भी बहुत सीमित है , को बताना समीचीन होगा कि आज मोबाईल में ही लोग आसानी से न सिर्फ़ हिंदी अंतर्जाल की पोस्टों को पढ रहे हैं बल्कि उस पर प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं ।
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