इस रेत के निचे नदी का दिल धड़कता है.....Pkg-3

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    यमुना में रेत के अवैध खनन से यमुना को ही नुक्सान नहीं हो रहा बल्कि दिल्ली को भी खतरा है तो पर्यावरण के लिए भी यह गंभीर खतरा है...रेत किसी भी नदी की जान होता है...जिसके साथ और जिसके निचे नदी को जीवन देने वाले तत्व और जीव पलते और पनपते है...किसी भी नदी में यदि रेत का ज्यादा खनन होता है तो यह ईको सिस्टम के लिए भी गंभीर खतरा है...लेकिन पर्यावरण को लेकर कड़े कानून बनाकर गंभीर दिखने वाली सरकार यहाँ लापरवाह नजर आ रही है...
    ................ इस रेत के निचे नदी का दिल धड़कता है...नदी में पानी न भी हो तो इस रेत के वजह से नदी का आंतरिक बहाव बना रहता है...नदी के निचे नमी बनी रहती है जिसमें रेत के साथ और रेत के निचे रहने वाले तत्व और जीव पलते और पनपते है...यही तत्व और जीव नदी की शुद्धता बनाये रखते है....लेकिन इस तरह के खनन से नदी के सेल्फ प्योरिफिकेशन सिस्टम पर असर पड़ता है...

    बाईट----मनोज मिश्रा---- सयोजक यमुनाजीए अभियान----नदी में पानी न भी हो तो इस रेत के वजह से नदी का आंतरिक बहाव बना रहता है...नदी के निचे नमी बनी रहती है जिसमें रेत के साथ और रेत के निचे रहने वाले तत्व और जीव पलते और पनपते है... नदी में सेल्फ प्योरिफिकेशन सिस्टम होता है...जो नदी को शुद्ध करता है...बालू न रहने पर ये यह सिस्टम ख़त्म हो जाता है...क्योकि वे जीव ख़त्म हो जाते है जो इस सिस्टम का हिस्सा होते है...)

    नदी के साथ बहकर आ रही रेत अपने साथ कई जीव जंतुओं और पेड़ पोधों को भी साथ लाती है तो कई बीज भी इसी बहाव में बहाकर आते है....लेकिन रेत के इस खनन से प्रकर्ति को भी भारी नुक्सान हो रहा है...उसके सिस्टम पर ही संकट आ रहा है...

    .............. लेकिन लगता है किसी को इसकी परवाह नहीं है...यमुना किनारे जिसे भी कोइ कम नहीं वह इस काम में लग जाता है...ये लोट तो पैसा बना रहे है लेकिन इसकी कीमत इनके साथ साथ पूरी दिल्ली को चुकानी पड़ सकती है...पर्यावरण को चुकानी पड़ सकती है...जो शायद सबसे ज्यादा गंभीर मामला है...देश और दुनिया में पर्यावरण पर कड़े कानूनों के देख यह तो समझा जा सकता है की यह सरकार इस पर कितनी गंभीर देखती है...लेकिन यह सब देख देश और दिल्ली की सरकार उतनी ही लापरवाह भी दिखाई देती है...

    अनिल अत्तरी दिल्ली ......................

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