यमुना के किनारे बसे कई गांवो की एक बहुत बड़ी आबादी इस पर टिकी है...जो इस कारोबार को अनजाने में कर रहे है वे इसे अवैध नहीं मानते...
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Pkg-4
.रेत का इतना बड़ा काला कारोबार...यमुना और दिल्ली के साथ साथ पर्यावरण के लिए इतना बड़ा खतरा...लेकिन सरकार इस क्यों मूंदे बैठी है...अविध खनन के साथ साथ पर्यावरण अधिनियम के तहत भी कड़ी करवाई का प्रावधान है..लेकिन बावजूद इसके यमुना की सफाई पर कई हज़ार करोड़ रुपये खर्च कर यमुना की सफाई की चिंता में लगी सरकार इसकी सुरक्षा पर इतनी लापरवाह क्यों है..? इसका जबाब यह भी हो सकता है...
......... यमुना की सफाई पर कई हज़ार करोड़ खर्च...लेकिन सुरक्षा सिफर....इतनी बड़े पैमाने पर रेत के ट्रक दिन रात रेत निकाल कर ले जा रहे है की उसका अनुमान लगाना भी मुश्किल...इतना बड़ा नुक्सान की अनुमान लगाना भी मुश्किल... और अनुमान लगाना यह भी मुश्किल है की इतनी बड़ी लापरवाही पर आखिर सरकार और पर्यावरण पर चिंता करने वाले आँखे क्यों मूंदे बैठे है...जानकार इस सवाल का जबाब भी सीधा मानतें है...और सरकार की नियत और काबिलियत पर भी सवाल दाग रहे है....
................................... में तो यह काम बड़ी सुनियोजित तरीके से चल रहा है... ,.......<<<<>>>>> यमुना के किनारे बसे कई गांवो की एक बहुत बड़ी आबादी इस पर टिकी है...जो इस कारोबार को अनजाने में कर रहे है वे इसे अवैध नहीं मानते...लेकिज पुरे मकेनिज्म तरीके से काम करने वाले जानते है की वे क्या कर रहे है..लिहाज़ा पुलिस प्रशासन से जहाँ ये सांठ गाँठ रखते है वहीँ राजनीति से जुड़े लोगों में भी इनका खासा रसूख है...इन इलाकों से उन्हें नोट और वोट दोनों मिलते है..लिहाज़ इस पर कोइ करवाई करना तो दूर इस पर बात करना भी इन्हें पसंद नहीं...यही कारन है की सरकार के लिए भी यह कोइ मुद्दा नहीं है...यही कारन है की यमुना की सफाई पर ढेरों योजना बनाने वाली सरकार के पास यमुना की सुरक्षा पर कोइ ठोस योजना कभी नहीं बनी....पर्यावरण प्रेमी सरकार की इस बेरुखी से नाराज भी दिखते है...
....... अब पानी सर से ऊपर हो रहा है...लिहाज़ा अब भी वक्त है सरकार को चेत जान चाहिए..जिम्मदारी और जबाबदेही की जंग को किनारे कर जब्जे के साथ सख्त कदम उठाने चाहिए ..वरना कहीं ऐसा न हो रेत का यह काला कारोबार इतना बड़ा संकट बन जाये की उसका समाधान और भरपाई करना मुश्किल हो जाये..
अनिल अत्तरी दिल्ली ....................
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