महंगाई अब राष्ट्रीय शोक का विषय है। राष्ट्र चलाने वाले सब अशोकी हैं। वो इन सबसे अदृश्य (हाइड) हैं। साहित्य में भी अशोकों की घुसपैठ हो चुकी है और भरमार है।
महंगाई में उम्मीद से बढ़कर इजाफा नेताओं के समर्थन के बिना हासिल नहीं होने वाला था। महंगाई का तिरछा वार प्रत्येक आदमी की सांस पर है। जब से उसे यह भनक लगी है कि सरकार सांसों पर भी कर लगाने के लिए तैयार है। उसे लग रहा है कि उसकी बरसों की साध पूरी हो रही है। पूरा पढ़ने के लिए क्लिक कीजिये