(सुनील) http://www.sunilvani.blogspot.com/ 7827829555
ऐ दोस्त तेरे और मेरे में बस इतना फर्क है
की तू जब चाहता है तब खाता है
और हमें जब मिल जाय तब खाते हैं.
ऐ दोस्त तेरे और मेरे में बस इतना फर्क है
की तू वो परिधान पहनता है,
जिसमे एक भी पैबंद न हो
और हम वो वस्त्र पहनते हैं
जिसमे दो-चार पैबंद न हो.
ऐ दोस्त तेरे और मेरे में बस इतना फर्क है
की तेरे पांव जमीन पे नहीं पड़ते
और हम मीलों यूँ ही निकल जाते हैं.
ऐ दोस्त तेरे और मेरे में बस इतना फर्क है
की तू अपने बूढ़े माँ बाप को ओल्ड एज होम में रखता है
और हम आज भी अपने रोम रोम में
ऐ दोस्त तेरे और मेरे में बस इतना फर्क है......
ऐ दोस्त तेरे और मेरे में बस इतना फर्क है
Posted on by सुनील वाणी in
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बेहतरीन प्रस्तुति
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