खफा हो गया है
कुछ तो हुआ है
वायरल है या
वायरस है
निकल रहा
इसके न होने से
हिन्दी ब्लॉगरों का
जीवन रस है
आओ आओ
चिट्ठाजगत
जल्दी आओ
इतना मत
तरसाओ
बरसाओ
बरसाओ
अपना स्नेह
निरंतर बरसाओ
हिन्दी ब्लॉगर
पुकार रहे हैं
कुछ तो नेह
बरसाओ
चिट्ठाजगत क्यों खफा है आजकल, दर्शन नहीं हो रहे हैं कई दिनों से
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
चिठ्ठाजगत,
जीवन रस,
हिन्दी ब्लॉगर
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हिन्दी ब्लॉगर
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सही कहा...
जवाब देंहटाएंशायद चिट्ठाजगत मेन्टेनेंस पर है।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
हम तो बहुत ही परेशान हैं अविनाश जी,
तब तक के लिये कोई अच्छा विकल्प यदि हो नजर में तो सुझाइये...
...
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , ......
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगर
जवाब देंहटाएंपुकार रहे हैं
कुछ तो नेह
बरसाओ
sunder ati sunder !
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगर
पुकार रहे हैं
कुछ तो नेह
बरसाओ
aabhar
सुन्दर रचना …………मगर चिट्ठाजगत के बिना सभी परेशान तो हो रहे हैं।
जवाब देंहटाएंavinashji..aapki post se pata chala ki chiththa jagat band hai....mein bhi kai dino se pareshan ho rahi thi....
जवाब देंहटाएंअब तो एक ही तरीक़ा रह गया है कि ज़्यादा से ज़्यादा ब्लोग्स को फ़ॉलो किया जाए...
जवाब देंहटाएंपरेशानी वाजिब है ...आपकी अभिव्यक्ति ...लाजबाब ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंक्या कहूं-कुछ समझ में नही आता है कि आपके लिए किस विशेषण का प्रयोग करूँ।
जवाब देंहटाएंचिटठा जगत के अभाव में बेचारे टापर्स ज्यादा परेशान होंगे.
जवाब देंहटाएंअरे भाई जी, लेखन कर्म करते रहो फल जरूर मिलेगा .
- विजय तिवारी
इससे तो मैं खुद त्रस्त हूँ ५० बार तो अपना ब्लॉग जोड़ने की रिक्वेस्ट भेज चुकी
जवाब देंहटाएंचिट्ठे लिखते रहिएगा तो जगत बचा रहेगा वर्ना तो हम होते ही रहते हैं सो ये भी खो जाएगा। और फिर सर्वप्रिय चिट्ठाजगत की कमी बहुत बहुत खलेगी। मालिक से गुज़ारिश है कि इसे तो कम-अज़-कम किसी की बदनज़र ना लगे। आमीन।
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