अगर आपके लिखचीत बॉक्स में कोई भी अपनी नई पोस्ट का लिंक देता है।
मैं तो ऐसे लिंक्स का सदा स्वागत करता हूं, चाहे एग्रीगरेटर खफा रहे या रहे खुश।
आप भी ऐसा ही कीजिए।
मान लीजिए आपका दरवाजा कोई खटखटाता है
या डोरबैल बजाता है
तो आप दरवाजा खोलते हैं
कौन हैं
यह तो पूछते हैं
तो फिर लिखचीत (चैट) बॉक्स पर
ऐसा क्यों नहीं करते हैं
क्योंकि वहां पर पता रहता है
कि कौन लिंक दे रहा है
धन्यवाद तो दे सकते हैं
हिन्दी ब्लॉगिंग की बेहतरी के
हम सबको जिम्मेदार होना होगा
ऐसे ऐसे फंडे अपनाने होंगे
मैं तो अपना रहा हूं
और आप ....
जो नाराज हो जाते हैं
लिंक छोड़ने पर
वे बतला दिया करें
तो बेहतर रहेगा
पर अगर कोई उपाय भी बतलायें
तो और भी बेहतर लगेगा।
बुरा मत मानें, गर ब्लॉगवाणी बंद हो गया है और चिट्ठाजगत खफा है
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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शायद, आप सही कहते हैं...
जवाब देंहटाएंफिरदौस जी
जवाब देंहटाएंशायद ... क्यों ?
जांचते है ?
जवाब देंहटाएंपांच महत्वपूर्ण विज्ञान वेबसाईट
क्यूँ नहीं जलता है बल्ब का फिलामेंट
व्हाट एन आईडिया सर जी !
जवाब देंहटाएंकल रात टिप्पणी न दे सका था
जवाब देंहटाएंअब क्या होगा दादा एग्रीगेटर के बिना टाप फ़ोर्टी का
बात तो मेरे मन की लिख दी आपने... इसमें किसी के खफा होने जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए,. लेकिन अभी तक मुझे टिप्पणी में लिंक देने की तमीज नहीं आई .. कृपया इसका भी खुलासा कर दें तो अच्छा रहेगा
जवाब देंहटाएंलिंक ऐसे बनता है
जवाब देंहटाएंआओ बंधु, गोरी के गांव चलें
बुरा मत मानें, गर ब्लॉगवाणी बंद हो गया है और चिट्ठाजगत खफा है
जो आज्ञा श्रीमान....
जवाब देंहटाएंआपका जन्मनक्षत्र और ग्रहों के गोचर भ्रमण का प्रभाव
मान लीजिए आपका दरवाजा कोई खटखटाता है
जवाब देंहटाएंया डोरबैल बजाता है
तो आप दरवाजा खोलते हैं
कौन हैं
यह तो पूछते हैं
तो फिर लिखचीत (चैट) बॉक्स पर
ऐसा क्यों नहीं करते हैं
भैया कुण्डी नही है उधर
्मस्त कर दिया जी...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सी रचनाएं अच्छी होने के बावज़ूद भी नहीं पढ़ी जाती क्योंकि लोगों को सही समय पर पोस्ट का पता ही नहीं चलता है.. एग्रेगेटर्स पर पोस्टें नीचे खिसक जाती हैं जिससे बाद में आने वाले पाठक उस पोस्ट तक नहीं पहुँच पाते हैं... तरीका बेहतर परिणाम ला सकता है एक घर,दो जोड़े,तीन दिन,चार शादियाँ, और पांच ब्लॉगर
जवाब देंहटाएंदेखते हैं आजमा कर।
जवाब देंहटाएंअविनाश जी
जवाब देंहटाएंफिरदौस जी के "शायद" का जबाब शायद यह हो कि हिन्दी साहित्य का भविष्य इससे ज्यादा उज्जवल नहीं हो सकता !
पद्मभाई को बधाई
जवाब देंहटाएंटिप्पणी में लिंक बनाना सीख गए भाई
अब टिप्पणी पाने वालों की खैर नहीं
सबको बधाई
न पढ़ने का बहाना नहीं मिलेगा
श्रीमान बुरा ना माने पर मुझे वास्तव में तकनीकी तौर पर टिप्पणी में किसी पोस्ट का लिंक देना नहीं आता है. कृपया सहायता करें.
जवाब देंहटाएंकविराज बात आपने पते की कही है लेकिन जब बार बार डोरबेल बजती है तो झुंझलाहट हो ही जाती है | जिन्हें पता नहीं उन्हें गूगल रीडर के द्वारा नयी पोस्ट पढ़ने का तरीका बताए |मै भी इस बारे में एक पोस्ट शीघ्र ही लिख रहा हूँ |
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है।
जवाब देंहटाएंaap bilkul sahii kaha rahe hai
जवाब देंहटाएंhttp://kavyana.blogspot.com/2010/10/blog-post.html
@ अना जी
जवाब देंहटाएंआप मुझे avinashvachaspati@gmail.com पर मेल लिखिए। मैं आपके पास टिप्पणी का लिंक बनाने की प्रक्रिया मेल से भेज दूंगा।