बचपन से अब तक
प्रतीक्षा ही तो करते आये है
कभी मनचाही वस्तु मिलने की
तो कभी अच्छे अंक आने की |
कभी फर्स्ट आने की
तो कभी मनचाहा जॉब मिलने की
कभी देश भ्रमण की
तो कभी सज्जनो की संगत की |
और अब भी
उम्र के इस मोड पर
प्रतीक्षा ही तो कर रहे है |
खुशहाल जीवन की
संतति के उज्जवल भविष्य की
ब्रद्धों के स्वास्थ्य लाभ की
और अपनी जीवनमुक्ति की |
करते ही रहे है हम
प्रतीक्षा ,प्रतीक्षा और
अनवरत प्रतीक्षा
कभी न खत्म होने वाली प्रतीक्षा
और अब
कुछ ही पलो में
खत्म हो जायेगी ये प्रतीक्षा
क्योंकि जब सब कुछ
समाप्त होने कों है
तो कैसी प्रतीक्षा
और क्यों प्रतीक्षा |
ये सब तो जीवन रहने तक है
प्रतीक्षा ,प्रतीक्षा और मात्र प्रतीक्षा |
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सुन्दर भाव संग्रह्।
जवाब देंहटाएं