गोवा में हूं
चाहता हूं मिलूं
हिन्दी ब्लॉगरों से
जानता हूं
यहां पर हैं
कोई जगह ऐसी नहीं
जहां पर न हों
हिन्दी की बिन्दी
चमक रही है सब ओर।
पकड़ना चाहता हूं
दूसरा छोर
उम्मीद बंधी है
पकड़ में आ रही है
हिन्दी विकास की डोर
इंटरनेट जगत से
सुलभ हुई है
हिन्दी ब्लॉग की भोर।
जो गोवा में हैं
जो गोवा आ रहे हैं
मैं 3 दिसम्बर 2010 तक हूं
आप कब आ रहे हैं
कब तक हैं
आईये मिलते हैं
मिलने से ब्लॉगरों के
हिन्दी के फूल खिलते हैं।
गोवा में हूं, हिन्दी ब्लॉगरों से मिलना चाहता हूं (अविनाश (वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
गोवा में हिन्दी ब्लॉगर
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मुंबई कब आ रहे हैं,
जवाब देंहटाएंगोआ में हिन्दी ब्लागर !
जवाब देंहटाएं(ज़रूर को फंसा हुआ रहा होगा )
:)
लो जी मिल आया हूं। रिपोर्ट संभवत: कल।
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