अंडे पर ठंडी पड़ी सरकार का दोगलापन

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  • गुड्डा गुडिया
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  • अंडे पर ठंड़ी पड़ी सरकार के मुख्यमंत्री इस दोगलेपन को भी साफ करने का जतन करें कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार यदि मांसाहार के समर्थन में नहीं है तो फिर पिछले पांच वर्षों में यानी जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है प्रदेश में मांस का उत्पादन दूना कैसे हो गया !!! मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण 2009-10 इस तथ्य को प्रतिपादित करता है, उसके अनुसार वर्ष 2004-05 में मांस का उत्पादन जहां 16 हजार मीट्रिक टन था जो कि वर्ष 08-09 में बढ़कर 34 हजार मीट्रिक टन हो गया। और अव्वल तो यह भी है कि यही सरकार झाबुआ में कड़क़नाथ मुर्गे के उत्पादन हेतु 500 स्वसहायता समूहों को सरकारी सहायता दे रही है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद की भूतपूर्व सहायक निदेषक वीणा शत्रुघ्न कहती हैं कि अंड़ा या कोई भी एनीमल प्रोटीन (दूध, दही, वसा आदि) कुपोषित बच्चों के लिये एक कारगर दवा है जिसमें एनर्जी सर्वाधिक है । लेकिन मध्यप्रदेश में सरकार इस शोध को जैन समुदाय की जनभावनाओं के नाम पर नकारने का कृत्य कर रही है। इसका विष्लेषण यह भी है कि अंड़ा आने पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। यानी अंड़ा व्यापारिक हितों को नहीं साधता और व्यापारिक हितों की यही आवाज जैन समुदाय के श्रीमुख से बाहर निकली भावनाओं के आहत होने के रुप में । ज्ञात हो कि जैन समाज यदि विश्व में छठे नंबर का सबसे धनी समुदाय के रुप में विख्यात है तो यही संपन्न व शिक्षित समुदाय कन्या भ्रूण हत्याओं के लिये भी कुख्यात है ।

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    2 टिप्‍पणियां:

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