मेरी बेटी ने सूचना दी ... पापा जो पुल नेहरू स्टेडियम के पास बन रहा था वह गिर गया और जो मजदूर उस पर काम कर रहे थे, वे भी गिर गये। बहुत से घायल हो गये हैं। मैंने कहा कोई बात नहीं .. । मुझे उदासीन सा पाकर, हैरान, परेशान होकर बोली.. ब्रिज गिर गया... मजदूर गिर गये, घायल भी हो गये और आप हैं कि... कोई बात नहीं, कोई बात नहीं, कहे जा रहे हैं, क्या मतलब है? दर्दनाक खबरों को पढ़कर आंखें छलकाने वाले आज इतने उदासीन क्यों और कैसे हो गये ?
आखिर बेटी के प्रश्नवाचक भावों को भांपकर मैंने चुप्पी तोड़ी और उसे समझाया।
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