अंधे रिश्ते - सही या गलत

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  • Vivek Sharma
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  • हाल  ही  में  मैं  अपने मित्र  की बहिन की  शादी  में  शरीक  हुआ | सभी  रस्मो  रिवाज़  के  साथ  विवाह  संपन्न  हुआ | फिर  दौर  चला  पीने  पिलाने  का | इन  लोगों  ने  जिद  की  तो  मैंने  एक सोफ्ट ड्रिंक कंपनी  देने  के  लिए  अपने  हाथ  में  ले  ली | अब  दौर  चला अपने अपने अनुभव बताने का | सभी  लोग  अपने  अपने  अनुभव  बताने  लगे  .
    उनमें  से  एक   युवक  जो  लड़के   वालों  की  तरफ  से  था  काफी  देर  से  चुप  था | हमने  उससे  पूछा  की  आप  भी  अपने  अनुभव हमें  बताएं | पहले  तो  वह  झिझकने  लगा , पर  शायद  यह  नशे  का  असर  था  जिससे  उसने  बताना  शुरू  किया , और अंत में भावनात्मक हो गया | जो  कुछ  उसने  बताया ,उसे  सुनकर  हम  सभी  सोच  में  पड़  गए  कि क्या  वास्तव  में  ऐसा  हो  सकता  है  ,क्योंकि   वह  थोड़े  नशे  में  था  तो  हमने  उसकी  बात  सच  ही  मानी | क्योंकि शोध बताते हैं कि नशे में व्यक्ति बहुत कम ही झूठ बोलता है , और उसके बताने कि रफ़्तार और हाव भाव से यह जाहिर था कि वह सच ही बोल रहा  होगा | उसने हमें जो कुछ बताया वह इस प्रकार से है | उसने  हमें बताया कि वह अलीगढ से है और पेशे से इंजिनियर है ,फिर उसने बताया कि जब वह इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में था, तो उसके रिश्ते के मामाजी कि लड़की जो गाँव में रहते हैं, हाई स्कूल पास करके उसके घर इंटर तक पढाई करने के लिए आयी | वह बहुत ही भोली, सुन्दर, सुशील और पढाई में भी अच्छी थी | वह उसे टूशन अपनी मोटरसाईकिल पर छोड़ आता था | वह भी घर में उसका काम कर देती थी मसलन चाय बना देना, कपडे धो देना  | धीरे धीरे वह दोनों करीब आने लगे | अब वह उसके लिए कुछ न कुछ खरीद कर लाने लगा और उसे मूवी भी दिखा देता | घर में उनकी नजदीकियों से सभी अनजान थे | इस तरह दो साल गुजर गए और उस युवक के अंतिम वर्ष के  एक्साम और उसकी लड़की के इंटर के एक्साम करीब आने लगे , एक दिन उस युवक ने उसे अपने गले लगाना चाहा तो वह दूर हट गयी और कहने लगी कि हम कभी एक नहीं हो सकते , लेकिन वह हमेशा उसे प्यार करती रहेगी | इस तरह उनका बोलना बहुत कम हो गया , लेकिन वह युवक इस तरह तनावग्रस्त हो गया कि अपनी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया 
    और फेल हो गया , उसके इस प्रदर्शन पर वह भी बहुत दुखी हुई  लेकिन उस लड़की ने अच्छा प्रदर्शन किया और अब वह विज्ञान में स्नातक कर रही है , उसके बाद वह  लड़की उनके घर को छोड़ हॉस्टल में चली गयी | बाद में उस युवक को एहसास हुआ कि उनके रिश्ते का कोई वजूद नहीं , उसके बाद एक बार वह लड़की उसके घर आई , तब वह उस युवक से बोली कि कुछ रिश्ते सिर्फ महसूस किये जा सकते हैं , क्योंकि मानव समाज में ऐसे अंधे  रिश्ते कलंकित करते हैं , लेकिन एक दोस्त कि तरह वह हमशा उसके साथ है | एक साल बाद उस युवक ने भी परीक्षा पास कर ली , और जॉब करने लगा | 
                                                                                            जब मैंने इस पर विचार किया  तो यही समझ में आया  कि लोग खासकर ( युवा वर्ग ) डेटिंग में उलझकर रह गया है . पहली नहीं तो दूसरी , दूसरी नहीं तो तीसरी , नहीं तो कोई और , और अंत में अवसाद में घिर जाता है , लेकिन जो सच्चे प्यार कि अहमियत को समझते हैं वह निरंतर अपने लक्ष्य को हासिल कर आगे बढ़ जाते हैं | सच्चा प्यार वही है जिसमे हो बलिदान, सच्चाई और भरोसा |

    1 टिप्पणी:

    1. सच्चा प्यार वही है जिसमे हो बलिदान, सच्चाई और भरोसा |आप की बात से सहमत है जी, धन्यवाद

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