हिन्दी ब्लॉगर जानते हैं
सब बतलाते भी हैं
उन तक आपकी इस पोस्ट का
लिंक तो पहुंचे
और लिंक पहुंचने से भी
नहीं बनती है बात
वे उसे क्लिक भी करें
खोलें और पढ़ें
फिर जो किस्से
स्मृति में आयें
उन्हें तुरंत टिप्पणी में लिखें
या मेल पर बतलायें
चाहें तो अपने ब्लॉग पर
एक नई पोस्ट लगायें
उसका लिंक इस पोस्ट
में बतौर टिप्पणी लगा जायें
तरीका यही उम्दा है
इसी में मजा है
विश्वसनीय और रोचकता
अपने आप में मजा है।
वैसे जो जानना चाह रहे हैं
संदीप पांडेय
उन्हें कुछ जानकारी मिलेगी
श्याम माथुर की हालिया प्रकाशित
पुस्तक में भी, जिसकी जानकारी यहां पर है
दिल-ए-नादां |
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