बीमार करती हरी सब्जियां और बेबस सरकार
आक्सीटोन खा गया गिद्ध को
प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती सरकार आक्सीटोन पर
शीतल पेय के बाद अब हरी सब्जियां हुईं घातक
कहीं बाबा रामदेव का बिजनेस प्रमोशन का अंग तो नहीं है यह प्रोपोगंडा
(लिमटी खरे)
बचपन से एक ही बात कानों में गूंजती आई है, चाहे दादा दादी हों, नाना नानी या फिर और कोई बुजुर्ग। हर किसी ने कहा है कि बेटा हरी सब्जियां खाया करो, इससे आंखों की रोशनी तेज होती है, शरीर स्वस्थ्य रहता है, बीमारियां पास नहीं फटक पाती हैं। इक्कसीवीं सदी में इलेक्ट्रानिक मीडिया के चलते कमोबेश भगवान का दर्जा पाने वाले स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने भी लौकी को अमृत तुल्य की संज्ञा दे डाली। हरी सब्जियों के वे भी हिमायती रहे हैं। कालांतर में इन्हीं हरी सब्जियों में जहर की बात भी सामने आने लगी है।
पिछले कुछ दिनों से इलेक्ट्रानिक मीडिया चीख चीख कर आगाह कर रहा है कि हरी सब्जियां लेने जाएं या उनका सेवन करे तो पूरी पूरी सावधानी बरतें। इसमें जहर हो सकता है। यह जहर प्राकृतिक तौर पर तो नहीं था अब तक जाहिर है मानव द्वारा ही जल्दी और ज्यादा लाभ कमाने की प्रवृति ने उसे इस ओर धकेला है कि वह तो खुद ज्यादा लाभ कमाए पर बाकी लोगों की थाली में जहर परोसे।
मीडिया यह बात समाज के सामने ला रहा है कि हरी सब्जियों जैसे लौकी आदि में जहर है, विषाक्त लौकी खाने से एक व्यक्ति के काल के गाल में समाने तक की बात को कहा है मीडिया ने। मीडिया यह बात भी बता रहा है कि यह जहर एक विशेष प्रकार के ''आक्सीटोन'' नामक इंजेक्शन के सब्जियों में लगाने से पनपता है। यह वही आक्सीटोन का इंजेक्शन है, जिसे मवेशियों में लगाने से मवेशी अधिक मात्रा में दूध देते हैं।
यद्यपि यह बात अभी प्रमाणित नहीं हो सकी है कि इस आक्सीटोन का इंजेक्शन लागातार लगाने के उपरांत मरने वाले दुधारू मवेशी का मांस कितना भयानक जहर युक्त हो जाता है, किन्तु पिछले एक डेढ दशक में मरे पशुओं का मांस खाकर पर्यावरण की सफाई के पुरोधा माने जाने वाले गिद्ध का जिस तरह से अवसान हुआ है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन मवेशियों के मृत शरीर में जहर ही होता होगा जो गिद्ध अचानक ही विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में आ गए हैं। वरना और कोई कारण नहीं है कि पर्यावरण के रक्षक इन गिद्धों का अचानक ही गायब हो गए हैं। गिद्ध का मांस भी कोई नहीं खाता है कि समझ लिया जाए कि गिद्ध का शिकार हो रहा हो।
दुधारू पशुओं के उपरांत अब आक्सीटोन का कहर हरी विटामिन युक्त सब्जियों पर टूट पडा है। जब यह बात साफ तौर पर साबित होने लगी है कि इन सारी बातों की जड में आक्सीटोन इंजेक्शन ही है, तो भारत गणराज्य की सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महकमा आखिर इस जहर के प्रमुख स्त्रोत आक्सीटोन पर प्रतिबंध लगाने की कार्यवाही क्यों नहीं कर पा रहा है। जिस तरह नशे का इंजेक्शन सस्ता होने के साथ ही सहज सुलभ है, उसी तरह आक्सीटोन भी सहज सुलभ और सस्ता होने के चलते जहर का यह कारोबार बहुत ही तेजी से फल फूल रहा है। कहते हैं कि आक्सीटोन का इंजेक्शन लगाने से रातों रात में ही लौकी का साईज जीरो से फुल हो जाता है। भला कौन सा किसान या व्यवसायी न होगा जो रातों रात माल अंटी न करने की इच्छा रखता होगा।
वस्तुतः देश पर शासन करने वालों का प्रमुख दायित्व अपनी रियाया की जान माल की रक्षा करने का होता है, पर पिछले कुछ दशकों से एक बात साफ तौर पर उभरकर सामने आई है कि भारत गणराज्य पर राज करने वाले शासकों को इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि भारत गणराज्य की उस जनता ने जिसने विशाल जनादेश देकर इन शासकों को कुर्सी पर बिठाया है उसकी कोई सुनवाई हो।
गौरतलब है कि शीलत पेय के मामले में भी भारत सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने पूरी तरह से घुटने ही टेके हुए है। शीतल पेय में कीटनाशक की मात्रा के अनुपात के मामले में आज भी भारत गणराज्य की सरकार द्वारा मानक तय नहीं किए जाना दुखद और आश्चर्यजनक ही माना जाएगा। कुल मिलाकर सारी स्थिति परिस्थिति को देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत गणराज्य की जनता को जहर खिलाना और पिलाना अब भारत सरकार का पहला दायित्व बनकर रह गया है।
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने पहले लोगों को योगा सिखाने के उपरांत लौकी का जूस पीने का मशविरा दिया। इसके बाद बाबा के अनुयायी और योग के दीवानों ने लौकी के कच्चे या पके जूस को पीना आरंभ कर दिया। अब जबकि लौकी में ही आक्सीटोन के चलते जहर की बात प्रचारित कर दी गई है तो अब लोग लौकी का जूस निकालकर पीने के स्थान पर ''बाबा रामदेव'' के पतांजली योग प्रतिष्ठान के ''शुद्ध'' लौकी के जूस का सेवन न करें तो क्या करें। हालात देखकर एसा भी लगता है मानो बाबा रामदेव ने अपने पतांजली के प्रोडक्ट को बाजार में स्थापित करने की गरज से तो मीडिया के माध्यम से इस तरह का प्रोपोगंडा तो नहीं करवाया जा रहा है।
एक बात और यह भी उभरकर सामने आई है कि जबसे मीडिया में कार्पोरेट सेक्टर संस्कृति ने अपने पैर जमाए हैं और ''घराना पत्रकारिता'' का आगाज हुआ है, तबसे मीडिया की बात पर देश के शासकों ने बहुत ज्यादा ध्यान और तवज्जो देना बंद ही कर दिया है। हमंे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि आज मीडिया चाहे जितना भी चीख चिल्ला ले पर शासकों पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होता है, इसका कारण भारत गणराज्य में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ में धनकुबेरों की संेध को ही माना जा सकता है। बहरहाल भारत सरकार को चाहिए कि ''आक्सीटोन'' नामक जहर के इंजेक्शन को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित दवा की श्रेणी में शामिल करे ताकि आवाम ए हिन्द मंहगाई और मिलावट के इस जमाने में कम से कम शुद्ध हरी सब्जियों और दूध का सेवन तो कर सके।
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