एक ऐसी लेखिका जो अपनी मातृ भाषा जितनी अच्छी जानती हैं , उतना ही उनका अँग्रेज़ी और रूसी भाषा पर समानाधिकार है . बचपन में अपने इंजीनियर पिता के साथ होली के साहित्यिक टाइटिल बनाने वाली आज खुद ही बहुत अच्छी कविताएँ और आलेख लिखती हैं . टी वी चैनलों के लिए आलेखों के साथ साथ हिन्दी - अँग्रेज़ी - रूसी भाषा अनुवाद भी वे बखूबी करती हैं । उनके अनुसार अँग्रेज़ी अथवा अन्य भाषाएँ जानना उतने गर्व की बात नहीं है , जितना अपनी मातृ भाषा हिंदी को महत्व देना गर्व की बात है । अपने मनोभाव कागज पर उतारना उन्हें अच्छा लगता है। जिसे ही वे अपना साहित्य मानती हैं । ग़ज़ल सुनना, कविताएँ लिखना , पेंटिंग करना , ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करना आदि उनकी अभिरुचियाँ उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को उजागर करती हैं . मृदुभाषी और सकारात्मक दृष्टिकोण वाली यह लेखिका आज के दौर में "ब्लॉग्स" को अपनी अभिव्यक्ति का सबसे अच्छा माध्यम मानती हैं।
जानते हैं कौन हैं वे ?
वह हैं श्रीमती शिखा वार्ष्णेय
जिन्हें ब्लॉगोत्सव की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (यात्रा वृत्तांत) का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
जानते हैं कौन हैं वे ?
वह हैं श्रीमती शिखा वार्ष्णेय
जिन्हें ब्लॉगोत्सव की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका (यात्रा वृत्तांत) का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
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एक ऐसा चिट्ठाकार जो चिट्ठा चर्चा पर अपनी पैनी अभिव्यक्ति के लिए मशहूर है । भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में एक जिम्मेदार पद पर आसीन होने के बावजूद अपने साहित्यिक और सृजन कर्म से कोई समझौता न करना, जिनकी फितरत में शामिल है . जिनके कथ्य और शिल्प अनायास ही चमत्कृत करते हैं .......जानते हैं कौन है वो ?
वो हैं श्री मनोज कुमार
ब्लॉगोत्सव की टीम ने उन्हें वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (यात्रा वृत्तांत ) का खिताब देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है .
विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
साथ ही ब्लॉगोत्सव-२०१० पर आज : अवश्य पढ़ें
सितारों की महफ़िल में आज शिखा वार्ष्णेय
सितारों की महफ़िल में आज मनोज कुमार
आप शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो उसी पोस्ट के लिंक पर क्लिक करके परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 की संबंधित पोस्ट पर ही देंगे तो पाने वाले और देने वाले - दोनों को भला लगेगा। यह भलापन कायम रहे।
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