श्रेष्ठता का पैमाना : लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान

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  • रवीन्द्र प्रभात
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  • एक ऐसा चिट्ठाकार जो व्यंग्य की चाशनी में डूबोकर जब साहित्य परोसता है तो फिर चखने वाले के होठों से आह निकालने के बजाये स्वत:वाह निकल जाता है .....!

    एक ऐसा व्यंग्यकार जिसके व्यंग्य वाण से आहत व्यक्ति भी मुस्कुराने को विवश हो जाता है ....जो सबका दोस्त है दुश्मन किसी का नहीं ....दुश्मन है भी तो केवल खोखली व्यवस्था का .....! जो मशहूर है खुशमिजाजी के लिए हिन्दी चिट्ठाजगत में ।

    ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने इस वार इस बहुचर्चित व्यंग्यकार को वर्ष का श्रेष्ठ व्यंग्यकार का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
    विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ किलिक करें
    एक ऐसी लेखिका जो अपने को लेखिका से ज्यादा कलाकार कहलाना पसंद करती है । खुद कुछ नहीं बोलती , बोलती है केवल इनकी कलम -कभी माँ, कभी बेटी, तो कभी पत्नी बनकर .....!
    स्मृतियों के आईने में झांककर जब इनकी कलम बोलती है तो पढ़ने बालों के जेहन में तूफ़ान पैदा कर देती हैं , संस्मरण के बहाने इनके शब्द जब रोते हैं तो पढ़ने वालों की आँखों से करुणा और स्नेह की धाराएं फूट पड़ती हैं ....खुद के लिए प्रचार जिन्हें पसंद नहीं ....जो महसूस करती हैं बिना लाग-लपेट के बयान कर देती हैं,आप इसे जो नाम देना चाहें दे दें आपकी मर्जी ....!
    ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने इन्हें इस बार वर्ष की श्रेष्ठ सह लेखिका का खिताब देते हुए लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान -२०१० से सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
    विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ किलिक करें

    साथ ही ब्लोगोत्सव-२०१० पर आज : अवश्य पढ़ें
    आप शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो उसी पोस्‍ट के लिंक पर क्लिक करके परिकल्‍पना ब्‍लॉगोत्‍सव 2010 की संबंधित पोस्‍ट पर ही देंगे तो पाने वाले और देने वाले - दोनों को भला लगेगा। यह भलापन कायम रहे।

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