हर बार तुम्हारी गली नजर आती है
जब भी दिल को कोई बात अखर जाती है ...!
कोई अनजाने ही कुछ कह जाये तो भी
कोई कह के कुछ रह भी जाये तो भी
कोई कुछ न बोले पर शक्ल बना ले
हर बात पे अब तो साँस बिखर जाती है
हर बार तुम्हारी गली नजर आती है ...!
कोई बात भली तो तुम ही मुस्काते हो
जैसे कोई आड़ से मुझे चिढ़ा जाते हो
फिर झट से जाने कहाँ अरे जाते हो
शायद ये गाड़ी तेरे नगर जाती है
हर बार तुम्हारी गली नजर आती है ...!
पंक्तियां जो दिल से सीधे ब्लॉग पर चली आई हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत...
जवाब देंहटाएंsundar bhav hai....!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सरल अभिवयक्ति ...बधाई
जवाब देंहटाएंहर बार तुम्हारी गली नजर आती है
जवाब देंहटाएंजब भी दिल को कोई बात अखर जाती है ...!
बहुत ही सुन्दर ....
खूबसूरती से लिखे एहसास
जवाब देंहटाएंvedika ji,, kalam se aise bhav nikal kar likhna bahut muskil hai,, dil se badhai..... main naya blogger hun plz jarur padhen--- sproutsk.blogspot.com
जवाब देंहटाएंsproutsk जी आपके ब्लॉग कि लिंक नही मिल रही है उसे पब्लिक करिये ताकि सब लोग देख सकें| और अपना मेल आईडी भी प्रोफाइल में लिखिए|
जवाब देंहटाएंसधन्यवाद !
"बहुत खूबसुरत रचना है लगता है कि जैसे किसी विरह के मारे ने लिखा है। बहुत बहुत शुभकामनाये आपको भी और उसे भी जो इस प्यारी रचना का स्रोत है"
जवाब देंहटाएंहर बार तुम्हारी गली नजर आती है
जवाब देंहटाएंVedika ji bahut sundar rachna. kahan han ap? हर बार तुम्हारी गली नजर आती है ekdam sahi kaha apne...suvkamnayain hamari taraf se.