वीरेन्द्र सेंगर की कलम से
सालों के लंबे ऊहापोह के बाद भाजपा नेतृत्व ने एक तरह से मान लिया है कि ‘हार्ड लाइन’ ही पार्टी के लिए राजनीतिक ‘संजीवनी’ बन सकती है। लोकसभा के चुनाव में लगातार दो करारी हार के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी दबाव बढ़ गया है। दूसरी तरफ, कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी खराब सेहत के कारण हाशिए पर चले गए हैं। उनके बाद पार्टी में दूसरे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी रहे हैं। उन्हें भी संघ के दबाव में हाशिए पर ला खड़ा किया गया है। संघ ने दबाव बनाकर नितिन गडकरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बैठवा दिया है। गडकरी की सबसे बड़ी पूंजी यही मानी जाती है कि वे संघ नेतृत्व के सबसे भरोसे के नेता हैं। संघ परिवार का दबाव रहा है कि पार्टी अपनी मूल दशा और दिशा से भटके नहीं। वरना न घर की रहेगी, न घाट की । पूरा पढें बात-बेबात पर
मोदी के रास्ते पर भाजपा
Posted on by Subhash Rai in
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भारतीय जनता पार्टी को राजनैतिक रूप से आक्रामक होना पड़ेगा क्यों की सोनिया कोई राजनैतिक नहीं है वह तो केवल चर्च क़े उद्देश्यों को लेकर काम कर रही है पूरे भारत क़ा ईशायीकरण करना ही मात्र उद्देश्य है -क्या हम भारत को बचा पायेगे.
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