खुशखबरी है, चीयर्स वुमेन

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  • Subhash Rai
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  • अब महिलाएं बिशप भी बन सकेंगी। चर्च आफ इंग्लैंड ने यह फैसला सुनाया है। इस फैसले से ब्रिटेन के परंपरावादी खेमे में निराशा और नाराजगी का माहौल है। दुनिया भर की महिलाओँ के लिए यह सुकून की खबर है। सेवा के सारे काम महिलाओँ द्वारा संपन्न किये जाने के बाद भी चर्च अभी तक उनके साथ भेदभाव करता चला आ रहा था। आखिर क्यों? ईश्वर के दरबार में इस तरह की बातें किसी को भी अच्छी नहीं लगती। केवल चर्च ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में महिलाओं को लंबे समय तक लगातार लैंगिक भेदभाव का शिकार होना पड़ा है। कबीलाई समाजों में सामान्य तौर पर यह माना जाता रहा है कि महिला की जिम्मेदारी बच्चे पैदा करना और उन्हें पालना-पोसना है। ऐसी परंपराएं भारतीय समाज में भी रहीं हैं लेकिन भारत दुनिया के अन्य मुल्कों से काफी पहले जाग उठा। पूरा पढ़ें बात-बेबात पर

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