मेरी बस चले तो मैं नवभारत टाइम्स को भी गाकर पढूं : जैसा हिन्दी ब्लॉगर अविनाश वाचस्पति ने सुना
Posted on by पी के शर्मा in
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प्रख्यात कवि सोम ठाकुर के आवास पर पहला हिन्दी ब्लॉगर मिलन
यह कहना है प्रख्यात गीतकार और कवि सोम ठाकुर का और यह उन्होंने कल इन सबके सामने एक अनौपचारिक बातचीत में कहा। और इस कहन में संशोधन किया है अविनाश वाचस्पति ने। आपने पहला शब्द मेरा कहा और हिन्दी ब्लॉगर ने इसे मेरी सुना। अब इसलिए आप इसे मेरी ही जानिए। सोम ठाकुर के आवास पर यह बस दिनांक 19 जून 2010 की शाम को दौड़ी। जी हां, बस का चलना नहीं, बस का तो सरपट दौड़ना ही भला लगता है। बस चले तो लाभ नहीं कमा सकती और दौड़े तो लाभ से भला होने से कोई नहीं रोक सकता है।
इस विविधविधामयी शाम को कवि सोम ठाकुर के आवास पर गीत, गजल, कविता और व्यंग्य तथा कहन का दौर ऐसी रसमयता में दौड़ा कि शाम स्मरणीय हो गई। यह शाम अद्भुत और ऐतिहासिक इसलिए भी रही क्योंकि कवि के आवास पर यह पहला हिन्दी ब्लॉगर मिलन हुआ। तकनीक की महत्ता को कवि काफी पहले से पहचान चुके हैं और आप जल्द ही हिन्दी ब्लॉग संसार में कवि सोम ठाकुर के ब्लॉग पर भ्रमण करने आयेंगे। ऐसा विश्वास कविमना डॉ. सुभाष राय बात-बेबात ने जताया है। डॉ. सुभाष राय इस शुभ कार्य के लिए शीघ्र ही अपनी सेवाएं हिन्दी ब्लॉग जगत की अभिवृद्धि के लिए देंगे ।
पर आप निश्चिंत रहें अगली दफा जब भी अविनाश वाचस्पति दिल्ली आएंगे तो आपको अवश्य ही नवभारत टाइम्स को कवि सोम ठाकुर जी के स्वर में हिन्दी में सुनने का अवसर सुलभ होगा। इस मौके पर लखनऊ से पधारीं और अपने ब्लॉग से जानी जाने वाली अलका मिश्र, शायर सर्वत जमाल, कवि डॉ. त्रिमोहन ‘तरल’ भी उपस्थित रहे। आपने इस अवसर पर उपस्थित सभी की संख्या बतलानी है कि कुछ कितने लोग उपस्थित रहे और इसमें कितने हिन्दी ब्लॉगर रहे और उनके ब्लॉग पूछेंगे तो आप सबका नाम बतलाने में चकरा जायेंगे।
इस संबंध में हुई बातचीत का संपूर्ण विवरण आप अगले महीने बारिशों के मौसम में अविनाश वाचस्पति के दिल्ली लौटने पर पढ़ पायेंगे। अगर आप जयपुर ब्लॉगर मिलन के चित्रों और मित्रों से रूबरू होना चाहते हैं तो तुरंत बतलायें।
इस सबका कारण अविनाश वाचस्पति के पास सफर में इंटरनेट की अनुपलब्धता है। अविनाश वाचस्पति से फोन और ई मेल पर प्राप्त संदेश के आधार पर तैयार पोस्ट। वे इस सफर में एक अनहोनी से भी बाल-बाल बचे और उन्हें इस मुश्किल दौर से निकाला अजीजपुर गांव के श्री राजेश सिंह ने, आप इस घटना की जानकारी अविनाश वाचस्पति जी की वापसी पर एक अलग पोस्ट में पढ़ पायेंगे
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जिन्दा लोगों की तलाश!
जवाब देंहटाएंमर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
waah !
जवाब देंहटाएंachha laga chandan ji baanch kar.....