नुक्कड़ पर आया नीशू तिवारी .......ब्लॉगिंग को सार्थकता की ओर ले जाने की है तैयारी .......( आप सब के बिना हम नहीं अविनाश जी ......) ........एक नयी पहल .


कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है.....जिसकी हम उम्मीद भी नहीं कर सकते हैं .......पर हमें बाद में पछतावा जरूर होता है.......पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है..........( दिल्ली ब्लॉगर सम्मलेन को लेकर )....वैसे भी क्या हम अपने से बड़ों के बिना आगे चल सकते हैं क्या ? तो मेरा जवाब होगा नहीं ........यही बात ब्लॉगिंग में भी लागू होती है.......हाँ मेरा वैचारिक मतभेद जरूर था ( जो अब दूर हो चूका हैं .........मुझे दुख है इस विवाद से )  पर मनभेद कभी भी नहीं रहा ........और न है ................और ........न ही रहेगा कभी ...............
पने से अनुभवी और बड़े ब्लॉगर ( अविनाश जी , अजय कुमार झा जी ,,,आदि से ) से बहुत कुछ सीखा है मैंने .........और हाँ बिना बड़ों के आशीर्वाद और प्यार और स्नेह के हम खुद को ( हिंदी ब्लॉगिंग को )  आगे कैसे ले जायेगे ........हमको आप सभी का साथ चाहिए .........वैसे भी मैं आप से छोटा हूँ तो ये मेरा अधिकार  है कि आपका  स्नेह हक़ से ले सकूँ .............
सबसे अहम बात की मेरी पिछली लिखी पोस्ट अगर आप लोगों के कष्ट हुआ है .......तो इसका मुझे खेद और बेहद अफसोस  है...........और भविष्य में ये प्रयास करूँगा कि ऐसे किसी भी विवाद को पनपने न दिया जाये ( आपस में बातचीत करके भी मामले को सुलझाया जा सकता है.........जो मैंने खुद नहीं किया ...पर आगे ध्यान रखूँगा )
...........अविनाश जी 
आपसे ही सीखा गलतियाँ सुधारना 
आपसे जी जाना खुद से आगे बढ़ना 
आपसे मतभेद रहा 
क्यूंकि 
नीशू के समझने में फेर रहा ....
फिर हम मिल जायेंगे 
एक नया दीपक जलाएंगे
ब्लॉगिंग की सार्थकता का 
सबको पाठ पढ़ाएंगे
चलते चलते
अविनाश जी रविवार को मेरठ आ रहे हैं मुझसे मिलने ..............केवल मुझ से मिलने .......अरे मिथिलेश भी आ रहा है........आप का इन्तजार है....... ऑफिस का समय पूरा गया है ..........अब जा रहा हूँ .....पर एक ही बात की वैचारिक मतभेद को कभी मनभेद न होने दीजियेगा .........हिंदी ब्लॉगिंग की सार्थकता की ओर कदम बढ़ाना है...........

7 टिप्‍पणियां:

  1. फिल्म- देशप्रेमी
    गीत-महाकवि आनन्द बख्शी
    संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
    नफरत की लाठी तोड़ो
    लालच का खंजर फेंको
    जिद के पीछे मत दौड़ो
    तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों
    आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों
    देखो ये धरती.... हम सबकी माता है
    सोचो, आपस में क्या अपना नाता है
    हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
    कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
    दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो

    मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो
    जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो
    भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
    पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से
    दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....

    तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की
    रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
    पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है
    इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है
    फिर मुझसे बात करो
    ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करो

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  2. abhi pad rha tha kafi gusse se paripurn tippniya thi. achanak hta di gai..achcha hua.
    mai roj pad rha tha aapki bachkani post..kripaya blog aadi se door hi rhe.. jo chl rha hai thik hai faltu gandagi mt failao dear.

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति। आभार|

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  4. सुबह का भटका शाम को घर आ जाये तो भटका नहीं कहलाता | अच्छा है देर से ही सही , विवाद तो सुलझा |
    काश ! ये मतभेद आप सार्वजानिक नहीं कर सिर्फ इमेल व्यवहार से ही निपटा लेते !

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  5. सास बहु में ठन गई लड़ते बीती रात
    बढते बढते बढ गई सिर्फ़ जरा सी बात

    कि खटोला यहीं बिछैगा

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  6. चलो, यह बहुत सुखद रहा!

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  7. स्‍वागत है। इसी का नाम जीवन और संघर्ष है।

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