इंसान ने शुरुआत से ही विज्ञान को अपना साथी बनाया हुआ है ............उसने अपनी हर जरूरत के मुताबिक अपने इसी साथी की मदद से अपने लिए ऐसी ऐसी खोजे करी कि आज वह अपनी धरती को छोड़ चाँद तक पर बसने के सपने सजा रहा है ! इन सब उपलब्धियों को देखे तो लगता है कि इंसान का सब से वफादार साथी विज्ञान ही है |
पर इंसान तो साहब इंसान ठहरा ............जब तक कुछ गलत ना करें अपनी इंसानियत को कैसे साबित करें |
तो लग गए जनाब विज्ञान का पूरा इस्तमाल करने में कुछ ऐसे अविष्कारों के लिए जो अगर ना भी हुए होते तो काम चल जाता .........................जैसे कि परमाणु बम |
वैसे अभी कुछ दिन पहले एक लेख पढ़ था जिस में इंसान के इस वफादार साथी का एक और कारनामा छपा था| आजतक यही सोच रहा हूँ क्या इस आविष्कार कि सच में कोई जरूरत थी ??
यहाँ उस लेख का लिंक दे रहा हूँ ताकि आप सब भी उसको पढ़े और अपनी राय दे !
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जरूरत है हम सब को इस नींद से जागने की कि हम विज्ञान का सदुपयोग कर रहे है | कुछ आविष्कार हितकारी नहीं होते यह भी समझना होगा | इंसान एक सामाजिक प्राणी है .........और समाज में बहुत सी ऐसी रीतियाँ है जो पुरानी और बचकानी लग सकती है पर जिन के होने की वजह से ही समाज में एक स्थिरता है | यह स्थिरता बनी रहे उस में ही हम सब की भलाई है !
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यह कैसा आविष्कार ?
Posted on by शिवम् मिश्रा in
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विज्ञान
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देखते जाइए मिश्रा जी !
जवाब देंहटाएंअभी ऐसे और भी कई आविष्कार देखने बाकी हैं
चमत्कार को नमस्कार!
जवाब देंहटाएंएक दिन यह आविष्कार ही ले डुबे गे इस सुंदर सी दुनिया को, इस दुनिया मै तो इंसानो से प्यार से रह नही पाते दुनिया वाले ... ओर अन्य ग्राहो पर ढुढ रहे है दुशमनी बढाने के लिये:)
जवाब देंहटाएंbahut khoj kar likh hai. yah durbhagy hai iss samay ka. jo na ho jaye thodaa hai.
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