हिन्‍दी ब्‍लॉगरों मुझे माफ कर दो : जलजला ने गलती स्‍वीकार करते हुए माफी मांग ली है

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • आप सबसे निवेदन है कि अपने अपने टिप्‍पणी बक्‍सों में जहां भी जलजला की टिप्‍पणियां हों आप उन्‍हें तुरंत डिलीट कर दीजिए। इस संबंध में जलजला ने एक बातचीत में कहा है कि मेरा ही माथा खराब हो गया था जो मैं प्रचार पाने के लिए ऐसी घिनौनी हरकत कर बैठा। मुझे अपनी हरकत पर बहुत खेद है फिर भी हो सकता है कि मैं अब भी यही हरकत करता रहूं क्‍योंकि आदत पड़ गई है। पर आप मेरी बिल्‍कुल परवाह न करें और मेरी टिप्‍पणियों की ओर कतई ध्‍यान न दें और तुरंत डिलीट कर दें। मुझे महत्‍व देते हुए कोई पोस्‍ट न लगाई जाये और न ही आप लोग मेरी इस करतूत को महत्‍व देते हुए पोस्‍टें लगाकर अपनी ऊर्जा क्षमता को व्‍यर्थ करें। मुझे लगा था और यह साबित भी हो चुका है कि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में इस प्रकार के कार्य करके कुख्‍याति पाई जा सकती है। हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग को अपनी इस कमजोरी से बाहर निकलना होगा। मेरी चार दिवसीय मुहिम में यही एक ऐसी कमजोरी मैंने पाई है जो हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग का बंटाढार कर सकती है। यह वही अंग्रेजों वाली फूट डालो और राज करो की नीति का ब्‍लॉगिगीकरण है क्‍योंकि सभी स्‍वयं को सर्वोत्‍तम देखना चाहते हैं और मैंने भी इसी को भुनाना चाह था और मैं इसमें सफल भी हुआ हूं। मैंने देखा है कि देशी और विदेशी प्रख्‍यात हिन्‍दी ब्‍लॉगरों ने मेरे आगमन पर पोस्‍टें लिखनी शुरू कर दीं जबकि मैंने देखा है कि बड़े से बड़े विवाद में से भी आप लोग बच निकलते हैं। पर इससे बच निकलना आपके लिए संभव नहीं था। आप मेरी और मेरे तरह की कुप्रवृत्तिधारकों की कुटिल चालों से सदैव बचे रहें।

    अविनाश वाचस्‍पति से बातचीत पर आधारित (ख्‍वाबों में ख्‍यालों में)
    जलजला के विशेष आग्रह को स्‍वीकार करते हुए इस पोस्‍ट पर टिप्‍पणी देने की सुविधा रद्द की गई है।

    टिप्‍पणी देने की तो सोचें भी मत और प्रयास मत कीजिए। आप इस पोस्‍ट से इत्‍तेफाक रखते हैं तो सिर्फ ब्‍लॉगवाणी पर पसंद का चटका लगा सकते हैं अथवा नापसंद कर सकते हैं। इस पर चाहते हुए भी रोक नहीं लग पाई है।

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