एटीएम बब्बा नहीं रहे

Posted on
  • by
  • Unknown
  • in
  • एटीएम बब्बा नहीं रहे

    पहली बार 1967 में हुआ था एटीएम का प्रयोग

    भारत में जन्मा था एटीएम का जनक

    (लिमटी खरे)

    आधुनिकता के इस युग में लोग बहुत ही अधिक सुविधाभोगी हो चुके हैं। इस काल में जीवन चक्र को सहज बनाने में जिन लोगों ने अपना अपना योगदान दिया है, उनमें जान शेफर्ड बेरान का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, वह इसलिए कि उन्होंने लोगों को पैसा निकालने के लिए बैंक की समयसीमा और लंबी लंबी कतारों से छुटकारा दिलाते हुए आटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) का अविष्कार किया था, जो आज कमोबेश हर एक नागरिक के पास है।

    स्काटलैंड मूल के माता पिता की संतान शेफर्ड का भारत से गहरा नाता रहा है। उनका जन्म भारत गणराज्य के मेघालय सूबे के शिलांग में हुआ था। कहते हैं आवश्यक्ता ही अविष्कार की जननी है। इसे ही चरितार्थ किया था शेफर्ड ने। सप्ताहांत का आनंद लेने के शौकीन शेफर्ड को बैंक से पैसा निकालने की झंझट के चलते वीकेंड के मजे खराब हो जाया करते थे। एक दिन नहाते नहाते उनके दिमाग में आया कि क्यों न एसी मशीन को इजाद किया जाए जिससे कहीं भी कभी भी धन की निकासी की जा सके। शेफर्ड ने स्वचलित चाकलेट वेंडिग मशीन को देखकर सोचा कि क्यों न इसी तर्ज पर धन निकासी की व्यवस्था की जाए।

    धुन के पक्के 23 जून 1925 को जन्मे शेफर्ड ने एटीएम मशीन को बना ही दिया। पहली बार 27 जून 1967 को उत्तरी लंदन के एनफील्ड में बारक्लेज बैंक की शाखा में इसे प्रयोग के तौर पर लगाया गया। यह मशीन वर्तमान एटीएम मशीन से बिल्कुल भिन्न हुआ करती थी। इसका नाम उस वक्त डी ला रूई ऑटोमेटिक कैश सिस्टम (डीएससीएस) कहा जाता था। उस वक्त रसायन युक्त कोडिंग से विशेष जांच के उपरांत ही पैसा निकाला जाता था। इसमें एक खांचे में उपभोक्ता द्वारा अपना चेक रखकर अपनी निजी पहचान संख्या दर्ज करता था, तब दूसरे खांचे से दस पाउंड के नोट बाहर आते थे। एटीएम नोट निकालने वाला पहला उपभोक्ता मशहूर फिल्म 'आन द बजेस' फिल्म के नायक रेग वर्नी थे।

    यही युग था जब एटीएम मशीन के युग का सूत्रपात हुआ था। शेफर्ड ने आरंभिक समय में इसका पिन नंबर छः अंकों का रखा था। बाद में उनकी पत्नि का कहना था कि उन्हें चार अंकों की संख्या ही आसानी से याद रह पाती है, सो शेफर्ड ने इसे छः से बदलकर चार अंकों में कर दिया। आज समूची दुनिया में पिन कोड चार अंकों का ही है।

    ब्रिटेन मंे स्काटलेंड के लोगों को वैसे तो बहुत ही कंजूस माना जाता है, पर ब्रितानी इस बात को गर्व से कह सकते हैं कि उनके बीच का ही एक व्यक्ति जो भारत मंे जन्मा हो, ने एक मशीन का अविष्कार कर दुनिया भर के बैंक की तिजोरियों के ताले चोबीसों घंटे के लिए खोल दिए हों। आज प्रोढ हो चली पीढी के स्मृति से यह बात कतई विस्मृत नहीं हुई होगी कि एटीएम संस्कृति के आने से पहले किस तरह लोग घंटों लाईन में लगकर बैंक में अपना जमा धन निकलवाया करते थे। रविवार या अवकाश के दिनों में लोगों को किस कदर परेशानियों से दो चार होना पडता था। कहा जाता था कि बैंक कभी भी लगातार तीन दिन तक बंद नही रहते। आज वे सारे मिथक टूट चुके हैं।

    आज बिजली, बल्व, सायकल आदि के अविष्कारकों को हमने अपने पाठ्यक्रम की किताबों में पढा है, पर अनेक एसे अविष्कारक हुए हैं, जिनके बारे में बहुत ज्यादा प्रचारित नहीं हो सकता है। मसलन इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के जनक सुजाता को कम ही लोग जानते हैं। सुजाता दक्षिण भारत के एक फिल्मकार थे। सरकार की उपेक्षा के कारण इस तरह की प्रतिभाओं के बारे में लोग जान ही नहीं पाते हैं। टेलीफोन के अविष्कारक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल, बिजली के बल्व के अविष्कारक टॉमस आल्वा एडिसन को तो लोग जानते हैं, किन्तु फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन, गैस चूल्हा, मोबाईल आदि रोजमर्रा उपयोग में आने वाली वस्तुओं के अविष्कारकों के बारे में कम ही लोग जानते हैं।

    बीसवी शताब्दी के उत्तारर्ध में विज्ञान और टेक्नालाजी का विकास जिस दु्रत गति से हुआ और बदलाव की प्रक्रिया इतनी तेज रही कि लोगों केा इनके अविष्कारकों के बारे में जानने या याद रखने की फुर्सत ही नहीं मिल सकी। आने वाले दिनों में कागज की मुद्रा के स्थान पर प्लास्टिक मनी जिसे ई ट्रांजक्शन भी कहते हैं, का प्रचलन बहुत ज्यादा बढ सकता है। आज भी क्रेडिट, डेबिट कार्ड पूरी तरह प्रचलन में आ चुके हैं। लोग आज अपनी अंटी में ज्यादा रूपया रखने के बजाए इस तरह के कार्ड रखने में ही ज्यादा समझदारी समझते हैं। हमें धन्यवाद देना चाहिए जान शेफर्ड बैरन का जिन्होंने बैंक की तिजोरियों के दरवाजे चौबीसों घंटों के लिए खोल दिए वरना आज भी हम बाबा आदम के जमाने की व्यवस्था पर ही चलने को मजबूर रहते। शेफर्ड को एटीएम का जनक नहीं पितामह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। एटीएम बब्बा नहीं रहे इस बात का दुख सभी को होना चाहिए।

    --
    plz visit : -

    http://limtykhare.blogspot.com

    http://dainikroznamcha.blogspot.com

    2 टिप्‍पणियां:

    1. एटीएम बब्बा - जान शेफर्ड बैरन को मेरी श्रद्धांजलि |


      http://burabhala.blogspot.com/2010/05/blog-post_3645.html

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz