जल की कीमत समझ ले....................

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  • डॉ० डंडा लखनवी
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  •                 तीन दोहे
                                          -डॉ० डंडा लखनवी

    जल की कीमत समझ ले, जलका  कर तू मान।
    जल  नैनों  का  अश्रु    है, अधरों  की  मुसकान॥

    केवल  जलचर ही नहीं, भू - नभ चर जल - हाथ।
    जलपर आश्रित हैं सभी, जल बिन विश्व अनाथ॥

    जल ही जगका सार है, बिन जल  जगत असार।
    तड़पेगा    जल   हानिकर,  भस्मासुर    संसार॥











    6 टिप्‍पणियां:

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