हाँ नहीं तो...!!! (बकौल अदाजी) पहेली नहीं है मेला है
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
Labels:
अविनाश वाचस्पति,
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010,
रवीन्द्र प्रभात
जैसा कि आप परिचित ही हैं कि परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 का आयोजन आरंभ हो चुका है। इसमें कार्टून विधा की सर्वोत्तम प्रविष्ठियों की प्रतीक्षा है। आप अपने कम से कम दो दो सर्वोत्तम कार्टून श्री रवीन्द्र प्रभात जी की ई मेल आई डी ravindra.prabhat@gmail.com पर अपने सचित्र परिचय सहित तुरंत भिजवाने का कष्ट करें। मेरा यह अनुरोध प्रख्यात कार्टूनकारों यथा इरफान,कीर्तीश भट्ट,काजल कुमार, सुरेश शर्मा, हरिओम, अनुराग चतुर्वेदी, डुबेजी, अभिषेक, इरशाद खान, कप्तान और उन सबसे भी है जिनके नाम मुझे याद नहीं आ रहे हैं पर यदि आप को याद आ रहे हैं तो उनके नाम टिप्पणी में जोड़ सकते हैं। मुझे याद आते जायेंगे तो मैं तो जोड़ता ही जाऊंगा। पर आप सब कार्टून तो भेजें ही जिन ब्लॉगरों ने अभी तक अपनी रचनाएं उत्सव में नहीं भेजी हैं, वे भी और अधिक आलस न करें और तुरन्त अपनी रचनाएं श्री रवीन्द्र प्रभात जी की ई मेल आई डी भिजवा दें और उत्सव स्थल पर पहुंचें। यह मेला दो दिन का नहीं, आज इसमें पोस्टें आने का चौथा दिन है और मेला चलेगा पूरे दो महीने मतलब 60 दिन। क्या हुआ अगर एक दिन हम तैयारी करेंगे और एक दिन मेला सजायेंगे। मेले में आप थकें न इसलिए यह अवकाश दिन है जो हमारे लिए तैयारी दिन है। आप आ रहे हैं न ......... हां नहीं तो ............. (बकौल अदाजी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कविता का लिंक भेज दिया था पता नहीं मिला या नहीं, कहिये तो दुबारा भेज दें.
जवाब देंहटाएंकार्यक्रम स्थल का पूरा पता चाहिये तुरंत क्योकि क्या पता हम पहुँच ही जायें
अविनाश जी,
जवाब देंहटाएंहम भी भेजें क्या?
एक दो कार्टून बनाकर
चलेगा तो बताएं
राम राम
अविनाश जी,अब इनाम् तो मुझे ही भेज दे, जिस की भी रचना पसंद आये मेरे नाम कर दे..:)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
चलेगा क्या जी
जवाब देंहटाएंदौड़ेगा तेज तेज
भेजें जरूर
और भाटिया जी
यही तो राज है
इनाम का बजेगा
सबके घर साज है
आप भी रचना
तुरंत भेज दें
सचित्र परिचय सहित।
मेले वालों को शुभकामनाएं जी.
जवाब देंहटाएंकाजल जी अपने बनाए कार्टून अपने सचित्र परिचय सहित मेले में शामिल करने के लिए भिजवाने का कष्ट कीजिएगा।
जवाब देंहटाएंभाई अविनाश जी,
जवाब देंहटाएंअब प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कुछ और सिद्ध करने की उम्र कहां रही ! :-) नयी प्रतिभाओं की कला की सराहना व रसास्वादन का दौर है अब तो.
तथापि आपके आत्मीय सुझाव के लिए सादर व विनम्र आभार.
काजल जी मैंने कब कहा है कि यह प्रतियोगिता है। बंधु यह मेला है सिर्फ। इसमें प्रतियोगिता का नहीं जरा सा भी झमेला है। इसलिए आपके मतलब आपके बनाए हुए कार्टूनों का इंतजार रहेगा परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 में। सिर्फ मुझे ही नहीं आपके चाहने वालों को भी।
जवाब देंहटाएं