एक
"मां अपने घर इतनी सारी आंटी क्यों आई थीं....इनके घर में शादी है क्या ?" --पॉँच छह वर्षीय पुत्र ने पूछा
"नहीं बेटा शादी नहीं है .इनके दादा जी की तेरहवीं है ,उसका न्योता देने आई थीं ."
"तेरहवीं क्या होता है मां ?"
"जब कोई मर जाता है तो उसके मरने के तेरहवें दिन घर मै पूजा पाठ होता है .पंडितों को दान दक्षिणा दी जाती है .उन्हे और जाति बिरादरी वालों को खाना खिलाया जाता है ,इसे तेरहवीं कहते है ."
बच्चे ने उत्साह से पूछा -"इसका मतलब जब कोई मर जाता है तो दावत होती है ?...फिर तो उस दिन घर में लड्डू ,पूड़ी ,कचौडी भी बनते होंगे ?...अपने घर ऐसी दावत कब होगी मां ?"
मां ने मुंह बिचका कर खाट पर बीमार पड़ी सास की ओर इशारा कर के कहा --"ये मरेगी तब ."
बच्चा चहका --"जब दादी मरेगी तो अपने यहाँ भी दावत होगी ?"
"हाँ ."
बच्चे ने बीमार पिता को देख कर पूंछा --"पापा मरेंगे तब भी दावत होगी ?"
तडाक से एक चांटा बच्चे के गाल पर पड़ा --"करमजले अशुभ बात मुंह से निकालता है ."
बच्चा रोने लगा था.वह नहीं समझ पाया कि उसकी गलती क्या है ...दादी के मरने की बात शुभ और पिता के मरने की बात अशुभ कैसे हो गई ?
....
दो
अपनी नन्द को आया देख कर पम्मी ने कहा -- "अरे रेनू आओ .तुम्हारा साऊथ ट्रिप कैसा रहा ,कब लौटीं ?"
"ट्रिप बहुत अच्छा रहा भाभी .रात को ही लौटीं हूँ .पर क्या बात है तुम बहुत बुझी बुझी सी लग रही हो ."
"रेनू तुम तो मेरी सहेली कि तरह हो.तुम से तो मैं हर बात कर लेती हूँ .आज सुबह सुबह मम्मी जी से मेरी तू तू मैं मैं हो गई .
" क्यों ?"
"जब से उन्हें पता चला है कि मै फिर से गर्भवती हूँ तब से मेरे पीछे पड़ी हैं कि मै सैक्स डिटर्मिनेशन टेस्ट करा लूं और अभी किसी को न बताऊँ कि मैं माँ बनाने वाली हूँ ."
"भाभी तब तो वे यह भी चाहती होंगी कि गर्भ में यदि लड़की है तो उसे समाप्त कर दो."
"हाँ ,यही चाहती हैं ."
"पता नहीं कभी कभी मम्मी को यह क्या हो जाता है जो इस तरह कि बातें करने लगती हैं.आप चिंता मत करो भाभी ,मै मम्मी को समझाऊंगी .मम्मी अभी घर में नहीं हैं क्या ?"
"नहीं "
"कहाँ गई हैं ?"
"आल इंडिया रेडियो पर 'सेव द गर्ल चाइल्ड 'टॉपिक पर वार्ता रिकॉर्ड कराने ने गई हैं ."
...
शुभ अशुभ और कथनी करनी - पवित्रा अग्रवाल रचित दो लघुकथाएं
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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बहुत उम्दा लघुकथाएँ
जवाब देंहटाएंगहराई तक मार करती है
बहुत ही मार्मिक ।
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