पहचानना मुश्किल नहीं होता
बस हम भीतर तक झांक नहीं पाते
भीतर तक यदि झांक पाते
तो सभी को पहचान भी पाते।
आइये मिलकर सभी को पहचानें (अविनाश वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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मुंबई
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बिलकुल सही...........
जवाब देंहटाएंपहचानना मुश्किल नहीं होता
जवाब देंहटाएंबस हम भीतर तक झांक नहीं पाते
..........विल्कुल सही पहचाना.....
अब पहेलियाँ पहचानिये.....
...........
विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
बिलकुल सही फ़रमाया
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात!!कई बार तो पहचानने में पूरी उम्र लग जाती है...
जवाब देंहटाएंपहचानना मुश्किल नहीं
जवाब देंहटाएंपर
पहुँचे हुए को पहचानना -----------
बस, इतना समझ आया कि ’यहाँ मैं घर घर खेल” का सेट है और आलोक नाथ दिख रहे हैं तैयार...बाकी को झाँकते हैं अभी!!
जवाब देंहटाएंजिन्हे हम जानते है उन्हे आज तक नही पहचान पाये जी ... तो इन तीनो को केसे पहचाने, वेसे आप तो बिलकुल नही है, क्योकि किसी की भी दाडी नही दिख रही
जवाब देंहटाएंगलत पहचानने पर जुर्माना नहीं है
जवाब देंहटाएंइसलिए पहचानने के लिए ट्राई तो कर ही सकते हैं
Baat to sahi hai ji....
जवाब देंहटाएंआलोक नाथ,अविनाश जी और केक बस बाइ आप बताइये जी
जवाब देंहटाएंजुरमाना नहीं होने कि बात पर गेस करने कि हिम्मत जुटाया हूँ..
जवाब देंहटाएं"गब्बर सिंह"??
अविनाश नहीं
जवाब देंहटाएंये अरविन्द हैं
अशोक के छोटे भाई
अब पहचाना
पहचाना तो पूरा नाम बतलायें?
पहचान लिया जी!
जवाब देंहटाएंसब अपने ही तो हैं!
नाम तो आपने बता ही दिये हैं!
अभी तक तो मैं खुद को ही पहचान न पाया.
जवाब देंहटाएंबड़ी गूढ़ बात कह दी...बस हम भीतर तक झांक नहीं पाते
जवाब देंहटाएंभीतर तक यदि झांक पाते
तो सभी को पहचान भी पाते।..:)
इसमें सिर्फ आलोकनाथ को पहचान सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंaap nahi hain....yah pahchaan liya fauran...
जवाब देंहटाएंआलोकनाथ जी के अलावा अरविन्द श्रॉफ़ हैं शायद। महिलाओं को एक तो मैं पहचानता कम हूँ, दूसरे अगर पहचान लिया तो धर्मपत्नी के नाराज़ होने का ख़तरा है।
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