उत्‍सव, उल्‍लास, उमंग की उत्‍साही भावना

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  • राजेश उत्‍साही
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  • फागुन की दोपहरी तपे,  च्‍यूंटी काटे रात
    प्रीत बिन बीते घड़ी, भली न लगतीं बात

    भींज-भांज कोरे रहें,  तर रंगों की बरसात
    मलें गुलाल गाल पर,  हम तो केवल हाथ

          रंग अबीर गुलाल संग, ठिठोली की बौछार
     लाए कितनी बिसरी यादें, होली का त्‍यौहार  

    होली नुक्‍कड़ गली जले, जले मन छौना
    नैनन की पिचकारी चले, जैसे जादू टोना

    उत्‍सव, उल्‍लास, उमंग की उत्‍साही भावना
    हो रंगों का हुड़दंग शुभ,यह फागुनी कामना


                       *राजे त्‍साही

                

    4 टिप्‍पणियां:

    1. बेहतरीन!!


      ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
      प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
      पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
      खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


      आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

      -समीर लाल ’समीर’

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