थारी भली होवे मीडिया ................ !

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  • गुड्डा गुडिया
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  • सचिन तेंदुलकर ने पुरुषों के एकदिवसीय क्रिकेट मैं २०० रन बनाने का कीर्तिमान अपने नाम सुरक्षित कर लिया | निश्चित रूप से यह भारत देश और क्रिकेट के लिए एक महानतम उपलब्धि है | किसी ने सचिन को अवतार बताया और किसी ने कुछ और | मेरे पास भी एसएम्एस का भण्डार लग गया | मध्यप्रदेश की सरजमी पर ये कारनामा हुआ तो शिवराज सिंह और उनके मंत्रिमंडल को इस पारी मैं भी अपने हिस्से फल चख लिया | उधर सचिन की पारी सज रही थी और इधर शिवराज सिंह का उड़नखटोला | विधान सभा मैं भी इसकी चर्चा हुई | यही नहीं राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन तक सचिन के नाम के जयकारे लगे | और तो और राज ठाकरे ने भी गुण गाये | यानी इस बहती गंगा मैं सभी ने अपने अपने हिस्से के हाथ धो लिए |

    पर मेरी इससे नाराजी है ! एसा नहीं कि मैं सचिन के प्रदर्शन से खुश नहीं हूँ या मुझे भारत देश के नाम इस रिकॉर्ड के कारण कोई व्यक्तिगत हानि हुई है | मैं केवल यह कहना चाहता हूँ की सचिन नाम के इस देवता के पहले एक देवी इससे भी बड़ा कारनामा कर चुकी है | जी हाँ ! चौंकिए मत ! भारत की सरजमीं पर ही आज से १३ साल पहले (१६ दिसम्बर 199) ऑस्ट्रेलिया की स्टार बल्लेबाज बेलिंडा क्लार्क ने मुंबई मैं डेनमार्क के खिलाफ २२९ रनों की नाबाद पारी खेली थी | यह दोहरा शतक किसी भी एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच मैं तब तक पहला दोहरा शतक था | बेलिंडा ने ३० अर्धशतक और ५ शतक भी बनाये हैं | इसी साल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैं सईद अनवर ने १९४ का रिकॉर्ड अपने नाम किया था |

    यहाँ एक बार मीडिया ने फिर अपना पुरुषवादी चेहरा दिखला ही दिया | मीडिया ने एक बार भी यहाँ पुराने रेकॉर्डों की टोह लेने की कोशिश भी नहीं की या मीडिया लेना भी नहीं चाहता | सवाल यह है कि मीडिया कब तलक इस तरह का गैर जिम्मेदारना व्यवहार करता रहेगा ? एसा ही नहीं की किसी एकाध अखबार ने बल्कि सभी लगभग अखबारों और चैनलों ने यही किया | दैनिक भास्कर ने लिखा वन डे क्रिकेट के इतिहास मैं २०० रनों के एवरेस्ट को छूने का यह पहला मौक़ा है | जागरण ने लिखा कि वन डे क्रिकेट इतिहास कि पहली डबल सेंचुरी बलस्टर के नाम | पत्रिका ने लिखा कि वन डे इतिहास मैं पहली बार किसी बल्लेबाज ने बनाया दोहरा शतक | पीपुल्स समाचार ने लिखा कि मैदान मैं सचिन ने बल्ले का जादू दिखाते हुए वन डे क्रिकेट इतिहास मैं दोहरा शतक जमा डाला | नव दुनिया, राज एक्सप्रेस और तो और हिन्दुस्तान टाईम्स और हिन्दू जैसे अखबारों ने भी यह गलती की | मैं उन अखबारों की बात कर रहा हूँ जिन्हें मैं देख पाया | वो तो भला हो जनसत्ता का, जिसने तमाम मीडिया को आइना दिखाया | जनसत्ता ने लिखा है कि तेंदुलकर ने रचा एक और इतिहास | और उसने बेलिंडा के कारनामे का सम्मान किया है |

    सवाल यही है कि मीडिया इतना गैरजिम्मेदार कैसा हो सकता है ? और जनसत्ता जैसे अखबार क्यूँ अपनी जिम्मेदारी सही से निभाते रहे हैं | इसका दूसरा पहलु यह भी है कि मीडिया ने एक बार फिर अपना पुरुषवादी चेहरा उजागर किया है | लेकिन मीडिया कैसे इन तथ्यों को दरकिनार करके आगे जा सकता है | आज जनमानस में एक ही चीज है कि सचिन ने ही यह कारनामा किया और जिसकी मीडिया ने खूब मुखालफत की, लेकिन ये जनमानस को कौन बताये कि सचिन नामक भगवान् से पहले भी एक देवी रही है | ज्ञात हो कि इस वर्ष हम सभी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शताब्दी मना रहे हैं | इस वर्ष की थीम है "समान अधिकार, समान अवसर : सबकी उन्नति |" अभी से इस मीडिया इस प्रसंग पर बड़ा चिंचित है | अखबार अभी से आलेख लिखवा रहे हैं , गोष्ठियों में वक्ता बुक किये जा रहे हैं वगैरह वगैरह | लेकिन महिला के किये कारनामों को सम्मान देने की ना तो तैयारी किसी की दिखती है और ना ही मंशा | बेलिंडा और सचिन का ये प्रसंग इसका एक ताजा उदाहरण है |

    सचिन को भगवान् का दर्जा दिया जाना कोई गलत काम नहीं है लेकिन एक देवी ने जो कारनामा आज से १३ साल पहले कर दिया हो उसे बिसारना कहाँ तक उचित है | मीडिया के इस गैर जिम्मेदारना रवैये पर बालिका वधु की तर्ज पर यही कहने को दिल करता है कि थारी भली होवे मीडिया |

    4 टिप्‍पणियां:

    1. main aapki baat ka tahe dil se samman karta hoon aur aapko badhaai dena chahta hoon ki ye vichaar bahut hi uttam hai. khair bharteey meedia ki berukhi jag zaahir hai .... apne lekh ko leejiye ... ab tak keval main hi tippani de raha hoon. lekin ek bakwaas se lekh ko 17 logon ne chatkaya hai..... kair main tan aur man se aapke saath hoon. Likhte rahiye....

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    2. होली की रंगभरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें!

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    3. भाई जी! जो गलती मीडिया से इई उसे सुधारा जाना बहुत कठिन है। आपने सबके आँख और कान खोलने का दम भरने वाले मीडिया को खुद अपने आँख-कान खोलने का सराहनीय प्रयास किया है-बधाई आपको

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    4. Media ki to vaise hi bahut pahle bhali ho chuki hai..... ek samay tha jab lekme fashion week ke liye saikadon patrakar bandu chartered plen se ud rahe the usi vakt vidarbh me marte kisano ko kavar karne ke liye gae keval 6, vo bhi tab jab pradhan mantri ne vahan doura kiya tha..... baki ye sab to choti baten hain. agar cricek ki hi baat ki jaye to england se jeete match me (jisme sorab dada ne pahli bar apni tshart utari thi) media ne mohammd kaif ko vo sthan nahi diya jabki unka yogdan jyada tha .... karan kya spast nahi hai ki hamari media itni bhali kyon hai :-)

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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