बच्‍चों की कविता

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  • पी के शर्मा
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  • जंगल की होली

    लगा महीना फागुन का होली के दिन आये
    इसीलिए वन के राजा ने सभी जीव बुलवाये

    भालू आया बड़े ठाठ से शेर रह गया दंग
    दुनिया भर के रंग उड़ेले चढ़ा न कोई रंग

    हाथी जी की मोटी लंबी सूंढ़ बनी पिचकारी
    खरगोश ने घिघियाकर मारी तब किलकारी

    उसका बदला लेने आया वानर हुआ बेहाल
    लगा लगाकर थका बेचारा चैदह किलो गुलाल

    मौका ताड़े खड़ी लोमड़ी रंगू गधे को आज
    लगा दुलत्‍ती नो दो ग्यारह हो गये गर्दभराज

    घायल हुई लोमड़ी उसको अस्पताल पहुंचाया
    गर्दभ को जंगल के जज ने दण्डित कर समझाया

    होली है त्योहार प्रेम का मौका है अनमोल
    भूलो द्वेष खूब रंग खेलो गले मिलो दिल खोल

    यहां राज है जंगल का सबको न्याय मिलेगा
    वरना जग में हमें आदमी फिर बदनाम करेगा
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    पी के शर्मा

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