कृष्ण कुमार की चिन्ता - जहर की खेती, bharatiyapaksha.com पर देखी, तो कुण्डली बनी-
विचार ही जब दूषित हो तो , क्या सब्जी की बात!
राह रुद्ध है मानवता की, दानव करता घात.
दानव करता घात, मोह-लालच की शकल में .
कितना भी कर लो, ना घुसता सही अकल में.
कह साधक कवि , हुई धरा- आकाश कलुषित.
सब्जी की क्या बात, विचार ही है जब दूषित.
Bhadas.blogspot.com पर अमर सिंह के इस्तीफ़े की चर्चा में एक तीन लेख देखे, एक पर ट्टिपणी करके लौट आया.
अमर बेल हैं अमरसिंह, राजनीति के गाँव.
वहीं पे बँटा ढार है, जहाँ पङे ये पाँव.
जहाँ पङे ये पाँव, जमीनें धंस जाती हैं.
अच्छी-भली- मुलायम गाङी फ़ंस जाती है.
कह साधक कवि, दल्लालों का यही खेल है.
राजनीति के गाँव, अमरसिंह अमर बेल हैं.
bhadas.blogspot.com पर ही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री निःशंक की तारीफ़ में एक आलेख पढा.कवि हैं, वाजपेयी की परम्परा को आगे बढायेंगे, अच्छी बात लगी. अच्छी बात की तारीफ़ होनी ही चाहिये, सो लिखा-
शंका नहीं कवित्व में, निशंक पाया नाम.
राज्यनीति के भाल पर,टीका ललित-ललाम.
टीका ललित-ललाम, यही आशा है इनसे.
काजल की कोठरी है, बचना कालेपन से.
कह साधक कवि प्रश्न उठे सीता-सतीत्व में.
निशंक तेरा नाम, शंका नहीं कवित्व में.
Bhadas.blogspot.com पर दन्तेवाङा के एक लेखक विशाल ने आदिवासियों और माओवादियों के समीकरण में मेधा पाटकर की गोलमोल चर्चा की. पूछा उनसे-
हिमांशु- मेधा जिक्र में, सही-गलत है कौन?
कलम आपकी भ्रमित है, सुनना बन्धु विशाल.
सुनना बन्धु विशाल, बहुत मुश्किल होता है.
समस्या को कह देने से क्या हल होता है?
कह साधक कवि सत्य खोजना सही स्वयं में.
सही-गलत है कौन हिमांशु- मेधा जिक्र में !
तिवारी जी की यौन-शक्ति से अचम्भित/प्रेरित एक आलेख bhadas.blogspot.com पर देखा तो बरबस कुण्डली निकली-
पूरा पढ़ने और टिप्पणी देने के लिए क्लिक कीजिए -साधक उम्मेदसिंह बैद
साधक-परिक्रमा-२
Posted on by Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " in
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