भगवान का इंटरव्यू
आए हैं स्वयं दयानिधान
विचारों की खान
आगाज देखिए
रहते कहां हो भगवन ?
सबके मन में
मन में या स्वप्न में ?
स्वप्न में नहीं सच में
तो सच क्या है ?
भगवान कुछ नहीं है मतलब कुछ नहीं होते हुए भी जो बहुत कुछ है वो सब इंसान का किया धरा है
इंसान का ?
हां इंसान का, इंसान मौजूद है और भगवान अशरीरी है। आस्था और विश्वास का मेल है यह। शरीर रूपी इंसान की कारिस्तानी ही कही जायेगी अशरीरी भगवान
कारिस्तानी कैसे ?
इंसान ने अपने पर संयम रखने के लिए ही यम की संरचना की। स्वर्ग नरक बनाये। खूब सारे भगवान बनाये और इंसान खुद इंसान नहीं रहा। अपना नुकसान करने में अव्वल है इंसान। पर्यावरण का कर रहा है सत्यानाश। इसे ही कह रहा है विकास।
विकास भी तो जरूरी है ?
पर विचारों का प्रकाश पहले चाहिए। उसके बाद बाकी सब कुछ।
विचार भी तो आपकी ही देन हैं ?
इसे यूं कहिए कि विचारों की देन हूं मैं।
लगता तो यही है कि सही कह रहे हैं आप ?
जो मैं कह रहा हूं वह भी आप ही कह रहे हैं।
बातचीत से साफ हुआ कि भगवान को अपने भगवान होने का कोई मुगालता नहीं है। पर इंसान इंसान नहीं रहना चाहता और न इंसानियत को ही कायम रखना चाहता है।
बातचीत लंबी है रोचक भी। अभी जारी है ...
फिर मिलेंगे एक ब्रेक के बाद। पहला ब्रेक है इसलिए जल्दी लगाया है।
कहीं आप इस बातचीत से बोर न हो जायें और वापिस इस ब्लॉग पर न आयें। आपका लौटना ही विजय है। इंसान की जय है।
भगवान से बातचीत : आगाज है यह नुक्कड़ पर (अविनाश वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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भगवान से बातचीत
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लौटेंगे तो जरुर!! आप मना कर दो तो भी!! :)
जवाब देंहटाएं’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
@ उड़नतश्तरी
जवाब देंहटाएंमना क्यों करेंगे हम
हम तो मना रहे हैं
भगवान को भी
और भगवान के
इंसान को भी।
ब्रेक के बाद वापस आइए!
जवाब देंहटाएंकर लो बात भगवान पर भी ब्रेक!!!
जवाब देंहटाएंजारी रखें.
जवाब देंहटाएंचाचा जी, भगवान जी भी लेटेस्ट हो गयें है, चलिये हम भी ब्रेक के बाद मिलेंगे... और तब आप भगवान जी को जाने मत दिजीयेगा मेरे पास लम्बी चौडी़ लिस्ट है वो सारे मुझे मांगने है भगवान जी से... :)
जवाब देंहटाएंहे भगवान, हे भगवान
जवाब देंहटाएंरह गचा इस चर्चा के अंत से अनजान
मिलेंगे ब्रेक के बाद
कर दिया है ऐलान।
बढ़िया इंटरव्यू भगवान का ही पोल खोलने पर लग गये है आप तो..वैसे सच है भगवान आदमी के मन में ही रहते है पर आदमी वो भी आज का कहाँ से देख पाते जिनके आँखों पर परदा जो चढ़ा होता है आधुनिकता का..अगले भाग का इंतज़ार है...
जवाब देंहटाएंमैं रोज आईना देखता हूं, उससे मिलता हूँ सच में। यही सत्य है अविनाश जी
जवाब देंहटाएंहे भगवान् ...अब भगवान् का साक्षात्कार भी लिया जा रहा है ...इतने सस्ते भगवान ...घोर कलियुग ...अगली किस्त का इन्तजार है ...!!
जवाब देंहटाएंमेरेबिन ’वो’ नहीं, नहीं ’मैं’उसके बिन रह सकता
जवाब देंहटाएंदोनो साथ-साथ, केवल अब इतना ही कह सकता.
इतना ही कह सकता भगवन! क्यों भटके हर मानव
साथ-साथ रहने का कौशल क्यों ना माने मानव?
कह साधक कविराय, अधूरी चर्चा मुझ बिन.
मैं इसके बिन रह नहीं सकता, यह मेरे बिन.