परी हूं मैं यहाँ, बस यूँ ही रहने दो मुझे मेरे ही ख्यालों में

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  • आकाँक्षा गर्ग ( Akanksha Garg )
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  • "परी हूँ मैं" हाँ परी ही तो हूँ ,हूँ पर अपने ही कुछ खयालो में
    घबराई सकुचाई तनहा हूँ ,किस्मत के अनसुलझे सवालों में !
    आफताबी रेशम से बुनती हूँ ,लाखों सुनहरी झिलमिल ख्वाब
    रहती हूँ तारों में बसे आसमानी शहर के चाँद आशियाने में !

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    2 टिप्‍पणियां:

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