मशहूर पत्रकार और साहित्यकार राजेंद्र अवस्थी नहीं रहे। उनका आज सुबह दिल्ली में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से एस्कोर्ट हास्पिटल में वेंटिलेटर पर थे। कुछ दिनों पहले तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें भर्ती कराया गया था। कल उनका स्वास्थ्य काफी सुधर गया था पर आज सुबह अचानक उनकी सांसें थम गईं। 79 वर्ष के राजेंद्र अवस्थी का पांच-छह महीने पहले हृदय की बाइपास सर्जरी हुई थी। कादंबिनी, नंदन, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका के संपादक रहे राजेंद्र अवस्थी ने जंगल के फूल जैसा उपन्यास लिखकर काफी नाम कमाया। इसी उपन्यास के कारण उन्हें फणीश्वरनाथ रेणु के बराबरी का आंचलिक उपन्यासकार माना जाने लगा। जंगल के फूल उपन्यास आदिवासियों की जिंदगी पर आधारित है। भड़ास4मीडिया से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार कन्हैयालाल नंदन कहते हैं कि जंगल के फूल जैसे उपन्यास पर फिल्म बननी चाहिए ताकि राजेंद्र के काम को दुनिया जान सके। पंडित सुरेश नीरव बताते हैं कि राजेंद्र जी का जाना हिंदी साहित्य के एक युग का अवसान है।
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यह साल राजेंद्र अवस्थी को भी छीन ले गया
Posted on by उमाशंकर मिश्र in
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rajendra awasthi
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राजेंद्र अवस्थी जी जैसे बहुत अच्छे साहित्यकार और बहुत अच्छे इंसान को खो देना बहुत दुखदायी है।
जवाब देंहटाएंकैसे-कैसे लोग रुख़सत कारवां से हो गये
कुछ फ़रिश्ते चल रहे थे जैसे इंसानों के साथ।
हिंदी जगत के वरिष्ठ -उत्कृष्ट साहित्यकार राजेन्द्र अवस्थी जी को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित है .
जवाब देंहटाएंमंजू गुप्ता ,वाशी , नवी मुंबई .
साहित्यकार राजेन्द्र अवस्थी जी को हार्दिक श्रद्धांजलि..
जवाब देंहटाएंराजेंद्र अवस्थी जी ka jaana dukhad hai. unka kaal chntan koi bhool nahi sakata. jangal ke fool bhi unka sundar upanyaas tha. pichhale saal ve raipur aaye they. unko yahaa sammanit kiya gaya tha. unko meree bhi shrddhaanjali....
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी का चिन्तक रूप आकृष्ट करता था मुझे ! काल-चिंतन का चिंतक काल-चक्र में तिरोहित हो गया । विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंकादम्बिनी में संपादकीय पढ़े थॆ. बहुत अच्छे होते थे. श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंअति दुखद समाचार..अभी सुना!
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