करते हैं चर्चा गोष्ठी
और पढ़वाते हैं पर्चा
उधर के लोग
ऐसे ही होते हैं
जगते हुए भी
लगते सोते हैं।
है उपन्यास
उधर के लोग
पढ़ते हम भी पर्चा
पर कैसे पढ़तें
करने के लिये चर्चा
पढ़ना पढ़ता है उपन्यास
जो अभी तक
नहीं है मेरे पास।
उधर के लोग
क्या ऐसे ही होते हैं ?
कैसे होते हैं
उधर के लोग
अगर आप जानना
चाहते हैं
तो क्यों नहीं
हिन्दी भवन के समीप
बी टी आर भवन में
बुधवार 30 दिसम्बर 2009
को सायं 4 बजे चले आते हैं।
उधर के लोग
इधर के लोग
यह उधर या इधर
होना है कैसा रोग ?
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंहिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
nice
जवाब देंहटाएंइसी में तो असली मजा है कि बिना पढ़े भी समीक्षया दिया जाये.
जवाब देंहटाएंआप के यह उधर के लोग तो बहुत अच्छे है जी
जवाब देंहटाएंमेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं
जवाब देंहटाएं'उधर के लोग 'को इधर के लोगों की शुभ कामनाएं दे रहीं हूँ .उड़न तश्तरी जी के संकल्पों का समर्थन -स्वागत करती हूँ .
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