नुक्कड़ सर्वोत्तम बाल कविता सम्मान परिणाम : तृतीय पुरस्कार से श्री समीर लाल की बाल कविता सम्मानित
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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नुक्कड़ सर्वोत्तम बाल कविता सम्मान परिणाम
श्री समीर लाल की तृतीय पुरस्कार से संयुक्त तौर पर सम्मानित बाल कविता
चूं चूं, चीं चीं
एक है चिड़िया-
चूं चूं करती
चूं चूं करती
चीं चीं करती
नाम है उसका बोलू
इस डंडी से उस डंडी पर
उड़ती फिरती
कभी न गिरती
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फिर दूजी चिड़िया भी आई
चूं चूं करती
चीं चीं करती
उड़ती फिरती
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
नाम बताया मोलू
झूले में वो झूल रही है
खुशी खुशी से बोल रही है
मेरी यार बनोगी, बोलू?
चूं चूं, चीं चीं
चूं चूं, चीं चीं
दोनों ने यह गाना गाया
कूद कूद के खाना खाया
तब तक तीजा दोस्त भी आया
नाम जरा था अलग सा पाया
हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई
चिड़ियों ने यह जात न पाई
जिसने पाला उसकी होती
उसी धर्म का बोझ ये ढोती
मुस्लिम के घर रह कर आई
एक नहीं पूरे दो साल
ऐसा ही तो नाम भी उसका
सबने कहा उसे खुशाल
वो भी झूला उस झूले पर
इस झूले पर, उस झूले पर
हन हन हन हन
घंटी वो भी खूब बजाता
ट्न टन टन टन
फिर सबके संग खाना खाता
मिल मिल करके गाना गाता
चूं चूं, चीं चीं
चूं चूं, चीं चीं
तीनों सबको खुश रखते हैं
ठुमक ठुमक के वो चलते हैं
खुशी में होते सभी निहाल
बोलू, मोलू और खुशाल!!
हम भी मिलकर
गाना गाते
चूं चूं, चीं चीं
चूं चूं, चीं चीं
उड़ते जाते
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
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बहुत सुन्दर बाल कविता. समीर जी को बधाई
जवाब देंहटाएंसमीर लाल जी को बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है .. समीर जी को बधाई !!
जवाब देंहटाएंसमीर जी को इस सहज, सरल कविता के लिए बधाई । बच्चे इसे खेल गीत के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंरामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
समीर लाल जी को बधाई......
जवाब देंहटाएंएक सुन्दर बाल कविता. आदर्श कविता है यह. समीर जी को बधाई !!
जवाब देंहटाएंबच्चों सी ही निष्पाप , मधुर सुन्दर कविता ..बहुत बधाई ...!!
जवाब देंहटाएंबधाई समीर जी को। वाकई बहुत सहज बालगीत है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता. खाना की जगह पर दाना कैसा रहेगा?
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अच्छी अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
sameer lal ji ko badhai.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता. समीर जी के लिये धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंBadhai sameer ji bahut badhiya baal kavita ..gungunati hui kavita bahut achcha laga..badhai..
जवाब देंहटाएंभाई समीर जी की धीर-गंभीर रचनाशीलता का राज़ शायद यही है कि उनके भीतर एक बच्चा भी रहता है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता । समीर जी को बधाई ।
जवाब देंहटाएंsahi he ji, umda kavita par pursakaar bhi umda dijiyega
जवाब देंहटाएंsameer ji ko badhai ,aur is rachna ke liye bhi jise padhkar bachpan yaad aa gaya
जवाब देंहटाएंसमीर जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आप सबका इस अपार स्नेह के लिए.
जवाब देंहटाएंराजेश अग्रवाल जी का सुझाव बहुत बढ़िया है...खाना की जगह दाना ही अच्छा लगेगा.
बहुत ही सुन्दर बाल रचना, बहुत-बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंये है बाल कविता !!! बच्चों के मन को बहाने वाली !! बधाई हो समीरजी
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