आज सुबह आघात पहुंचाने वाली यह खबर मिली कि जानमाने पत्रकार प्रभाष जोशी का कल रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। हिन्दी पत्रकारिता के लिए यह सचमुच बहुत बड़ी क्षति है। जनसत्ता और प्रभाष जोशी अस्सी और नब्बे के दशक में एक दूसरे के पयार्य थे। पूरे अखबार में उनके लेखन की झलक दिखाई देती थी।
उनका साप्ताहिक कालम कागद कारे बहुत लोकप्रिय था और मुझे तो बहुत पसंद था। बावजूद इसके कि कई बार उसमें वे बहुत अतिरेक में लिख जाते थे। क्रिकेट के वे दीवाने थे। भले ही हमने कोई मैच टीवी पर पूरा देखा हो,पर अगले दिन अखबार में उनके द्वारा लिखा आंखों देखा हाल पढ़ना अलग आनंद देता था। सचिन उनके लिए भगवान से कम नहीं थे। सचिन के खिलाफ सुनना उन्हें ऐसा लगता था जैसे कोई उनके बेटे की आलोचना कर रहा हो। कुछ महीने पहले भोपाल में माधवराव सप्रे संग्रहालय के एक आयोजन में उनसे रूबरू मिलने का मौका मिला था। अपने लेखन की तरह वे उतने ही सहज लगे।
यह दुखद संयोग ही है कि कल रात जब आस्ट्रेलिया के खिलाफ हारे हुए मैच में सचिन तेंदुलकर ने 175 रन बनाए, उसके कुछ घंटे बाद ही प्रभाष जी ने अंतिम सांस लीं। कल के मैच में सचिन तेंदुलकर अपनी ख्याति के उलट बेहद खराब शाट खेलकर आउट हुए। नतीजा, भारत की बाकी टीम दबाव नहीं सह पाई और तीन रन से हार गई। देश भर के क्रिकेटप्रेमी यह मैच देख रहे थे। मेरा मानना है कि निश्चित रूप से प्रभाषजी भी यह मैच देख रहे होंगे। ( या मैच की खबर किसी न किसी रूप में उन तक पहुंच रही होगी।) कहीं सचिन का इस तरह आउट होना और लक्ष्य के इतने करीब पहुंचकर भारत का हार जाना ही प्रभाष जी के दिल के दौरे का कारण तो नहीं बना?
बहरहाल प्रभाष जी, उनकी पत्रकारिता और उनके क्रिकेट प्रेम को सलाम।
0 राजेश उत्साही
प्रभाष जोशी जी को
जवाब देंहटाएंअपने श्रद्धा-सुमन समर्पित करता हूँ!
दिमाग और कलम के धनी को विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजली
जवाब देंहटाएंbahut dukh hua
जवाब देंहटाएंjana to sbhi ko hai par aisi masaal bnaa do ki aapki bhi aisi hi charchaa ho'
जवाब देंहटाएंkripya mere bhi blog par aane ki jahamat kare.