दिमाग की चुस्ती चाहिए
तो तुरंत हिन्दी अपनाइये
अंग्रेजी को दूर भगाइये
और मराठी को ...
भाषा से हमें
नहीं है कोई बैर
बैर तो भाषी से भी
नहीं है
बैर है बैर की चाहत
रखने वालों से।
हिन्दी बोलें और
अपने दिमाग को
चुस्त बनायें।
पूरी जानकारी पाने के लिए
उपर दिए गए चित्र पर
चटका लगाएं और पसंद
आए तो पसंद भी चटकाएं।
दिमाग में चुस्ती चाहिए तो हिन्दी अपनाइये (अविनाश वाचस्पति)
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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दिमाग में चुस्ती लाए
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यह टिप्पणी रिपोर्ट पढ़ने के बाद:
जवाब देंहटाएं(1) अंग्रेजी में जोर जोर से बोलने को कहा गया जब कि हिन्दी में बात करने को कहा गया। दोनो प्रक्रियाओं में फर्क है लिहाजा मस्तिष्क की सक्रियता में भी फर्क होगा। अंग्रेजी में भी बात कराना था तब तुलना करनी थी।
(2) नागरी लिपि लिखने पढ़ने में मात्राओं के आगे पीछे, उपर नीचे वाली बात समझ में आती है लेकिन बोलते समय भी इसका प्रभाव होना चाहिए ऐसा नहीं समझ में आता।
सम्भवत: रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण ठीक नहीं है। अब मेरे उपर आप लोग जूते लेकर मत पड़ जाइएगा :)
हम तो भय्या अपनाए हुए है
जवाब देंहटाएंकाश् राज ठकरे यह समझ पाते!
जवाब देंहटाएंविचारोत्तेजक!
जवाब देंहटाएंदिमाग की चुस्ती चाहिए
जवाब देंहटाएंतो तुरंत हिन्दी अपनाइये
बहुत सही सलाह ..!!
matlab hindi blogars ka dimaag sabse jyada chust rahata hai wo to hindi me ram gaye hai ..
जवाब देंहटाएंहम भी अपनाये हैं शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंjaankari men izafa huwa dhanyawad ...link dekhiyega....फेमिनिस्ट
जवाब देंहटाएंyeh nahi pata tha !! to yeh hindi ke side effects hain !! sahi hai.. btw hum bhi ab Hyderabad mein hi hain...:-)
जवाब देंहटाएंहिंदी में मात्राएं और बिंदियां ही इतनी तरह की हैं कि दिमाग ठस्स रह ही नहीं सकता :-)
जवाब देंहटाएंनयी और मौलिक जानकारी,में तो अधिकतर लिखने,बोलने में हिन्दी ही अपनाता हूँ,अगर आवशयक्ता पड़े केवल तब ही,अंग्रेजी बोलता और लिखता हूँ ।
जवाब देंहटाएंआप ने ये ब्लॉग १४ oct2009 को रात ८ बज कर ७ मिनट और १० सेकंड पर पोस्ट किया है ,
जवाब देंहटाएं@ अमित जैन दीवाना
जवाब देंहटाएंदीवाने ही हो बंधु
ब्लॉग नहीं
पोस्ट पोस्ट की है।