हश्र
अजब चलन है मेरे शहर का;
यहाँ, हवा के लिए सोने के ताले हैं चाँदी की दीवारें पत्थर के हैं शीशे पारे की साँसें..
सब मुमकिन है बस, इक बहने की इजाज़त के सिवा...
अजब चलन है मेरे शहर का.
0--------0
-काजल कुमार
प्रदूषण के इस बियाबाँ मे बहना भी कौन चाहता है.बहुत सुन्दर चित्रण किया है.
वाह, सब ठहरना चाहते हैं, सब सब कुछ बटोरना चाहते हैं,,,,,सुन्दर कविता....हाँ,,और सक्षिप्त भी..
यहाँ,हवा के लिएसोने के ताले हैंचाँदी की दीवारेंपत्थर के हैं शीशेपारे की साँसें.. nice
गंदगी और प्रदूषण भरे ,इस शहर में -----हवा बहे भी तो यहां बहे कैसे --------जुर्रत अगर वो ,बहने की करे तो क्या --हवा - हवा रह पाएगी---------सुंदर काव्य है ।
यह तो लघु कविता हो गयी। लेकिन अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई।
सुन्दर कविता के लिए काजल कुमार जी को बधाई!
पत्थर के शीशे हैं---समझ में नहीं आया।
bahut sahi kaajal kumar ji bahut hi behatreen dhang se aapne shaher ka zikr kiya hai ..aur ye shaher kisi ka bhi ho sakta hai ..bahut bahut badhai aapko dhanywad.vijaywww.poemsofvijay.blogspot.com
आपके आने के लिए धन्यवादलिखें सदा बेबाकी से है फरियाद
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प्रदूषण के इस बियाबाँ मे
जवाब देंहटाएंबहना भी कौन चाहता है.
बहुत सुन्दर चित्रण किया है.
वाह, सब ठहरना चाहते हैं, सब सब कुछ बटोरना चाहते हैं,,,,,सुन्दर कविता....हाँ,,और सक्षिप्त भी..
जवाब देंहटाएंयहाँ,
जवाब देंहटाएंहवा के लिए
सोने के ताले हैं
चाँदी की दीवारें
पत्थर के हैं शीशे
पारे की साँसें.. nice
गंदगी और प्रदूषण भरे ,
जवाब देंहटाएंइस शहर में -----
हवा बहे भी तो यहां
बहे कैसे --------
जुर्रत अगर वो ,
बहने की करे तो क्या --
हवा - हवा रह पाएगी---------
सुंदर काव्य है ।
यह तो लघु कविता हो गयी। लेकिन अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता के लिए काजल कुमार जी को बधाई!
जवाब देंहटाएंपत्थर के शीशे हैं---समझ में नहीं आया।
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaajal kumar ji
जवाब देंहटाएंbahut hi behatreen dhang se aapne shaher ka zikr kiya hai ..aur ye shaher kisi ka bhi ho sakta hai ..
bahut bahut badhai aapko
dhanywad.
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
bahut sahi kaajal kumar ji
जवाब देंहटाएंbahut hi behatreen dhang se aapne shaher ka zikr kiya hai ..aur ye shaher kisi ka bhi ho sakta hai ..
bahut bahut badhai aapko
dhanywad.
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com