ग्वालियर का अटल बिहारी वाजपेयी सूचना प्रबंध संस्थान बना खैराती अड्डा
मानव संसाधन मंत्रालय के सचिव के रिश्तेदार को बचाने में जुटे एम.एन.बुच
भोपाल(पीआईसी).राजधानी के मास्टर प्लान पर गरजने वाले एम.एन.बुच की दहाड़ कितनी थोथी है इसका अंदाजा ग्वालियर के अटल बिहारी वाजपेयी सूचना प्रबंध संस्थान के कुशासन को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.श्री बुच यहां गुंडागर्दी करने वाले एक असिस्टेंट प्रोफेसर को केवल इसलिए बचाने में जुटे हैं क्योंकि वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक सचिव का रिश्तेदार है. श्री बुच इस अपराधी चरित्र के शिक्षक के खिलाफ एक शब्द भी सुनने तैयार नहीं हैं .वे इस असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ पुलिस रिपोर्ट करने वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शोध इंजीनियर जगदीप दांगी को धमकाने में जुट गए हैं.
ग्वालियर का इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंफार्मेशन टैक्नालाजी एंड मैनेजमेंट संस्थान वैसे तो देश का बड़ा संस्थान बताया जाता है लेकिन यहां के हालात इतने खराब हैं कि यह किसी बनिये की दूकान से भी बदतर नजर आता है.यहां ऐसे शिक्षकों की भरमार है जो किसी न किसी सत्ताधीश के कृपा पात्र हैं.पिछले दिनों एक ऐसे ही कृपा पात्र असिस्टेंट प्रोफेसर गौरव अग्रवाल की काली करतूत ने संस्थान की कार्यप्रणाली की कलई खोलकर रख दी है.
गौरव अग्रवाल और पंकज श्रीवास्तव नामक शिक्षकों ने संस्थान की ओर से हिंदी पखवाड़े पर पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया था.इस आयोजन में उन्होंने संस्थान में ही कार्यरत शिक्षक जगदीप दांगी को भी सम्मानित करने के लिए आमंत्रित किया.श्री दांगी ने देश का पहला हिंदी एक्सप्लोरर का आई ब्राऊजर++ विकसित किया है.अपनी लगन से उन्होंने हिंदी अंग्रेजी शब्दकोश और ग्लोबल वर्ड अनुवादक भी बनाया है.इन सॉफ्टवेयरों के कारण उन्हें देश विदेश के अनेक संस्थानों ने सम्मानित भी किया है.श्री दांगी की इसी प्रतिष्ठा का लाभ लेने के लिए दोनों आयोजकों ने उन्हें भी अपने कार्यक्रम में आमंत्रित किया.बाद में उन्होंने श्री दांगी को मंच पर बुलाकर सम्मानित करने से इंकार कर दिया और कह दिया कि वे अब श्री दांगी को सम्मानित करना नहीं चाहते.इस पर श्री दांगी ने उनसे अनुरोध किया कि यदि आप मुझे सम्मानित नहीं करना चाहते थे तो अपमानित करने के लिए मंच पर क्यों बुलाया.इस पर श्री गौरव अग्रवाल कथित तौर पर उखड़ गए और उन्होंने श्री दांगी को धकियाकर दूसरी मंजिल से नीचे फेंकने का प्रयास किया.वहां मौजूद लोगों ने श्री दांगी को बचा लिया और श्री अग्रवाल को खरीखोटी भी सुनाईं.इसके बाद श्री दांगी अपनी शिकायत लेकर संस्थान के संचालक एस.जी.देशमुख के पास गए तो उन्होंने कहा कि तुम अपनी शिकायत लिखकर दे दो बाद में मैं सोचूंगा.इस बीच गौरव अग्रवाल के साथियों ने श्री दांगी को यह कहकर धमकाना शुरु कर दिया कि गौरव अग्रवाल के अंकल मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव हैं और यदि तुमने मुंह बंद नहीं किया तो तुहें नौकरी से निकाल दिया जाएगा.इस पर श्री दांगी के साथियों ने उन्हें पुलिस शिकायत करने की सलाह दी.
श्री दांगी ने घटना के करीब पांच घंटे बाद हजीरा पुलिस थाने पहुंचकर अपनी आपबीती पुलिस इंस्पेक्टर श्री परिहार को सुनाई.उपलध गवाहों के बीच श्री परिहार ने श्री दांगी की प्राथमिकी दर्ज की और मामले की जांच शुरु कर दी.पुलिस थाने के जांच अधिकारी जब संस्थान के अन्य लोगों और संचालक से बयान लेने पहुंचे तब लोगों को गंभीरता का अहसास हुआ.बरसों से संस्थान में रजिस्ट्रार के पद पर डेपुटेशन के माध्यम से कब्जा जमाए बैठे आईएफएस अधिकारी डी कुमार को जब पता लगा कि घटना स्थल पर उपस्थित सुरक्षा गार्डों ने इस मामले में गवाही दी है तो उन्होंने एक गार्ड मलखानसिंह तोमर को निलंबित कर दिया.जब मामला बिगड़ता दिखा तो श्री दांगी ने संस्थान के अध्यक्ष एम.एन.बुच से मुलाकात करने का प्रयास किया.श्री बुच ने इस प्रतिभाशाली इंजीनियर जगदीप दांगी से न केवल मिलने से इंकार कर दिया बल्कि यह कह दिया कि वे संस्थान के संचालक से अनुमति लेकर ही कोई बात कहें.उन्होंने कहा कि श्री दांगी ने पुलिस में शिकायत करके संस्थान की छवि बिगाड़ी है.स्वयं को नियम कानून का पुरोधा बताने वाले श्री बुच यह कहकर न सिर्फ कानून का माखौल उड़ा रहे हैं बल्कि वे एक प्रतिभाशाली अध्यापक को उसके मौलिक अधिकार से भी वंचित करने का प्रयास कर रहे हैं.किसी भी आपराधिक घटना की शिकायत की जांच करने का अधिकार भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत पुलिस को ही दिया गया है.यदि किसी आपराधिक सोच वाले व्यक्ति के खिलाफ दंड प्रकिया संहिता के अंतर्गत दंड नहीं मिलता है तो समाज में अपराध को ही बढ़ावा मिलता है यह जानते बूझते श्री बुच आरोपी गौरव अग्रवाल को बचाने का प्रयास करने में जुट गए हैं.एक संस्थान में कुशासन को बढ़ावा देने वाले श्री बुच राजधानी के मास्टर प्लान पर बौखलाकर ये साबित करने में जुटे हैं कि जैसे वे ही समाज के ठेकेदार हैं जबकि हकीकत इससे ठीक विपरीत है.संस्थान में ही पदस्थ कई शिक्षकों से उनके संबंधों को लेकर तमाम किस्म की चर्चाएं शैक्षणिक और प्रशासनिक हलके में चल रही हैं.श्री बुच की ही शह के कारण ग्वालियर का यह संस्थान विवादों के घेरे में आ गया है.जिसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाना जरूरी है और भारत सरकार को भी अपने मंत्रालय में पदस्थ घोटालेबाज अफसरों से पल्ला झाड़ना होगा तभी वह भी अपने संस्थानों से प्रतिभा पलायन रोक सकेगी.ऐसा नहीं हुआ तो फिर कोई वैंकटरामन रामकृष्णन विदेश जाकर नोबल पुरस्कार पाएगा और तब भारत सरकार की नाक एक बार फिर नीची होगी.
साभार — प्रेस सूचना केन्द्र मध्य प्रदेश
http://www.picmp.com/October_09/Vigyan-2.html
आप का लेख पहले भी पढा था, वहा सेआप के बारे मै इस घटना का पत चला था, आप बहुत अच्छा कर रहे है इन कमीनो को ओ र्गुंडो को सजा मिअल्नी ही चाहिये.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
aise logon ko sazaa milni hi chahiye....... Shri. Daangi ke hum saath hain.
जवाब देंहटाएंऐसे निकम्मे लोगों को सज़ मिलनी ही चाहिए
जवाब देंहटाएंश्री दांगी के साथ जो कुछ भी हो रहा वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ बुद्धिजीवी वर्ग को आवाज उठानी चाहिए.
जवाब देंहटाएंचन्देल
आदेश नहीं निवेदन
जवाब देंहटाएंसभी इस पोस्ट को अपने अपने ब्लॉग पर लगायें और जिन समाचार पत्र/पत्रिकाओं में जुड़े हैं उनमें प्रकाशित करायें और एक ऐसा दवाब बनायें जो नजर न आये पर दोषियों के प्राण लेने में समर्थ हो।
इस घटना की भरपूर भर्त्सना करें।
जवाब देंहटाएंaap bhut see baton ke liye suchna ke adhikar ka pryog kren us ke bad ydi pulis karvahi nhi krti to aap court ja skte hain
जवाब देंहटाएंschchai ke liye aap ko bhut se papd belne pdenge sty ki vijy yun hi nhi ho jati us ke liye mhabhart jaise tyari chahiye kya aap tyar hai bhut kuchh khona bhi pdega ye jo tipniyon me galiyan likh kr sher bn rhe hain ye aap ke sath ldne nhi ayenge ldai aap ko akele ldni pdegi bolo tyari hai
meri sdecha aap ke sath hain
dr. ved vyathit fridabad
यह मामला लगता है बहुत आगे बढ गया है । और लगता है अब वही कहावत चरितार्थ होने वाली है कि जो ताकतवर है वह कमज़ोर को दबायेगा । इस न्याय व्यवस्था पर विश्वास करें और देखें आगे क्या होता है । क्योंकि जो ताकतवर होता है वह अपने पक्ष में सबूत भी जुटा लेता है ।
जवाब देंहटाएंशर्मनाक है ये वाक्या।दांगी जैसे अफ़सरों को गौरव जैसे ट्टपूंजिये रिश्तेदारी के दम पर ही धमका सकते हैं योग्यता के बल पर नही।इस मामले मै दांगी जी के साथ हूं।
जवाब देंहटाएंYe to hamare liye aur bhi achcha hai ki bo GUNDA manav sansaadhan mantraley ke sachiv ka ristedaar hai. Isse media is baat ko bahut hi jyada uthayegi kyunki media par kisi bhi prakar ki raajneeti nahi chalti hai. App is baat ko rashtriya news channels par uthayiye,agar main aapki jagah hota to yahi karta. Par aap thoda samhalkar bhi rehna kyunki media main ye baat aane ke baad bo log thoda bokhla sakte hain.hum sab aapke sath hain.
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों को सजा मिलना जरूरी हो जाता है, आप जैसे लोग ही इन्हें बेनकाब कर सकते हैं ।
जवाब देंहटाएंआभार
BAHOT SAHI DANGI JI AAP JAISE HONHAR HI BE IZZATI KI SAZA IN KAMINO KO MILNI HI CHAIYEE WE ARE WITH U .
जवाब देंहटाएंCOME ON...........
Shri Danji Je ko Mahamahim Rajyapal aur iske bad Mahamahim Rashtrapati Mahodaya Je ko APPEAL karni chaiye.
जवाब देंहटाएंIs ke bad bhi kuch nahin hota hai to 2012 tak intjaar karna hoga jab paapion ka aant hone vala hai.