जब विचारों को किसी वाद या विचारधारा का प्रश्रय लेकर ही समाज में स्वीकृति मिलने का प्रचलन बन जाए तब व्यक्तित्व का निर्माण संभव नही. आज यही कारण है कि भारत या तमाम विश्व में पिछले ५० वर्षो में कोई अनुकरणीय और प्रभावी हस्ताक्षर का उद्भव नही हुआ. वाद के तमगे में जकड़ी मानसिकता अपना स्वतंत्र विकास नही कर सकती और न ही सर्वसमाज का हित सोच सकती है.
मानवीय प्रकृति में मनुष्य की संवेदना तभी जागृत होती है जब पीड़ा का अहसास प्रत्यक्ष रूप से हो.जीभ को दाँतों के होने का अहसास तभी बेहतर होता है ,जब दांतो में दर्द हो. शायद यही वजह रही कि औपनिवेशिक समाज ने बड़े विचारको और क्रांति को जन्म दिया. आज के नियति और नीति निर्धारक इस बात को बखूबी समझते है . अब किसी भी पीड़ा का भान समाज को नही होने दिया जाता ताकि क्रांति न उपजे. क्रांति के बीज को परखने और दिग्भ्रमित करने के उद्देश्य से सत्ता प्रायोजित धरना प्रदर्शन का छद्म खेल द्वारा हमारे आक्रोश को खोखले नारों की गूंज में दबा देने की साजिश कारगर साबित हुई है. कई जंतर मंतर जैसे कई सेफ्टी-वाल्व को स्थापित कर बुद्धिजीवी वर्ग जो क्रांति के बीज समाज में बोया करते थे, उनको बाँझ बना दिया गया है.इतिहास साक्षी है कि कलम और क्रांति में चोली दामन का साथ है. अब कलम को बाज़ार का सारथि बना दिया गया. ऐसे में किसी क्रांति की भूमिका कौन लिखेगा? तथाकथित कलम के वाहक बाज़ार की महफिलों में राते रंगीन कर रहे है
( 4) प्रत्येक ब्लॉग लेखक के लिए एक अलग पन्ना उसके व्यकतित्व परिचय के लिए दिया जाएगा. जिससे बेनामी ब्लॉगर और छद्म नाम से.बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नही हो सकता.तो अब जबकि बाज़ार के चंगुल से मुक्त अभिव्यक्ति का मंच ब्लॉगिंग के रूप में समानांतर विकल्प बन कर उभरा है तो हमारी जिम्मेदारी है कि छोटी लकीरों के बरक्स कई बड़ी रेखाए खींची जाएं. बाज़ारमुक्त और वादमुक्त हो समाजहित से राष्ट्रहित की ओर प्रवाहमान लेखन समय की मांग है.ब्लॉग जगत में जब प्रहार ज्यादा होने लगे और सृजन की प्रक्रिया धीमी हो जाने लगे, तब यह भान हो जाना चाहिये कि वक्त एक बड़े बदलाव का है। वर्तमान समय में ब्लॉगिंग का गिरता स्तर, इसके शुभागमन के समय अनुमानित लक्ष्यों से बहुत दूर धकेलने वाला है। इस दिशा में एक सार्थक पहल हुई है, और उस प्रयास की संज्ञा ” ब्लॉगप्रहरी” देना सर्वथा प्रेरणात्मक है।
ब्लॉगप्रहरी का उद्देश्य ब्लॉग जगत के दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे विसंगतियों से अलग एक आदर्श ब्लॉग मंच मुहैया कराना है। स्वरूप से एक एग्रीगेटर होने के बावज़ूद इसकी कार्य-प्रणाली विस्तृत और नियंत्रित होगी।
(हमें ब्लॉगप्रहरी को एक एग्रीगेटर के रूप में नहीं बल्कि विचार-विमर्श और ब्लॉगिंग के एक सार्थक प्लेटफार्म के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। आपसे निवेदन है कि आप इसका मूल्यांकन किसी एग्रीगेटर से तुलना कर के न करें!)
जैसा कि नाम मात्र से स्पष्ट है, इसका एकमात्र लक्ष्य ब्लॉग जगत में एक आदर्श ब्लागिंग के मापदंड की स्थापना करना और ब्लागिंग जैसे सशक्त, अभिव्यक्ति के हथियार को धारदार बनाये रखना है।
क्या है योजना!(1) ब्लॉगप्रहरी एक अत्यन्त आधुनिक और नियंत्रित ब्लॉग एग्रीगेटर होगा। यहां पर चुनिन्दा ब्लॉग और लेखकों के लेख ही प्रकाशित होंगे, जिसका निर्धारण 15 सदस्यीय ब्लॉगप्रहरी की टीम करेगी। वह टीम आप ब्लॉगरों के सुझाव पर आधारित एक परिभाषित व्यवस्था होगी। सर्व-सामान्य के लिये यह केवल पठन और प्रतिक्रिया देने तक सीमित रहेगा। हां, हम लगातार नये ब्लॉग शामिल करते रहेंगे और अनुचित सामग्री के प्रकाशन और अमर्यादित भाषा प्रयोग जैसे अन्य निर्धारकों के आधार पर सदस्यता समाप्त करना, अस्थायी प्रतिबंध जैसे तमाम औजार मौजूद रहेंगे। यह एक नि:शुल्क जनहित योजना है, और इसका एकमात्र ध्येय
ब्लॉग को वैकल्पिक मीडिया के स्वरूप में स्थापित करना है।
ऐसे मापदंड रखने के कारण क्या थे ?हमारे पास मौजूद अन्य एग्रीगेटर सभी प्रविष्टियों को एक जगह दिखाते हैं। अब एक पाठक को यह चुनना मुश्किल होता है कि क्या पठनीय है और क्या नहीं। आजकल अनावश्यक विषयों पर मतांध लेख, व्यक्तिगत आक्षेप, आरोप-प्रत्यारोप, अमर्यादित भाषाशैली का प्रयोग कर अपने पोस्ट पर पाठक बुलाने की परंपरा विद्यमान है। इस बीच कई बार सुसंस्कृत लेख भी नहीं पढ़े जाते और एग्रीगेटर के पहले पृष्ठ पर से उपस्थिति खत्म होते हीं उनका सार्वजनिक स्वरूप समाप्त हो जाता है।
क्यूं अलग है ब्लॉगप्रहरी: यहां प्रविष्टियों का संकलन और प्रकाशन वर्गीकृत होगा और एजेक्स (एजेक्स आधुनिकतम वेब डिजायनिंग तकनीक है, इसपर आधारित व्यव्स्था में वेबसाइट क हर हिस्सा इतना हल्का और जल्द खुलने वाला हो जाता है, कि युजर को किसी भी तरह इन्तजार नही करना पड़ता। एक सामान्य उदाहरण आप याहूटैब में पाते है। यह पूरी साइट एजेक्स पर बनी है। तमाम हिस्से अपने आप मे स्वतंत्र है और आप अपनी पसन्दानुसार साइट के सजा सकते है।) पर आधारित व्यवस्था उनको लम्बे समय तक दिखाने में सक्षम है। आपके सामने मुख्य पृष्ठ पर 400 से ज्यादा चिट्ठे दिखाए जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण और विशेष चिट्ठों को फ़ीचर पोस्ट कैटेगरी के अंतर्गत दिखाया जायेगा, जिसकी संख्या नियंत्रित है। यह आटोमेटेड स्लाइड इन चिट्ठों को विशेष समय तक चला कर उनकी पठनीयता और प्रासंगिकता बनाए रखेगा। ब्लॉगप्रहरी ने मुख्य पृष्ठ पर किसी भी चिट्ठों के पसंद-नापसंद करने जैसा औजार उपलब्ध कराना उचित नही समझा है
ताकि आप पूर्वाग्रह से ग्रसित हो उनकी ओर न चले जायें और हालिया प्रकरण (ब्लॉगवाणी पर विवाद) इस पाठक-लेखक की इस मानसिकता को दर्शाता है) ब्लॉगवाणी की सेवा निश्चित तौर पर ब्लॉगजगत के लिए बड़ा ऋण है और अनैतिक तरीके अपनाकर कुछ लोग अपनी तुच्छता का उदाहरण छोड़ जाते हैं।
(2) ब्लॉगप्रहरी पर किसी भी प्रकाशित सामग्री को आप वहीं पढ़ सकते हैं ( या उस लेखक के निजी ब्लॉग पर जा सकते हैं)। शीर्षक पर क्लिक करते हीं, वह पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए वहीं खुल जायेगी और आप अपनी प्रतिक्रिया भी वहीं दर्ज कर सकते हैं। आपको लिंक फालो कर उस व्यक्ति विशेष की साइट पर जाने की आवश्यकता नहीं है।
इसके पीछे कारण क्या थे?लिंक फालो कर आप लगभग 2-3 मिनट में उस लेख तक पहुचते हैं और आपका समय तब सार्थक होता है ,जब आपको कुछ अच्छा पढ़ने को मिले। पर बात जो ज्यादा घातक है कि जिस तरह टी.आर.पी. ने मुख्यधारा की मीडिया का बेड़ा गर्क कर रखा है, उसी तरह रैंकिग विजेट, ट्रैफिक स्टैट्स काउन्टरों ने ब्लॉगरों की मानसिकता पर गहरा और पथभ्रमित करने का प्रभाव डाला है। सामान्यत: सनसनीखेज शीर्षक देकर कुछ चिट्ठाकार अपनी पीठ स्टेट्स काउन्टर से थपथपा रहे हैं। सर्वविदित है कि ऐसे चोंचले अपनाकर आप अस्थायी लोकप्रियता तो हासिल कर सकते हैं, पर आपकी वास्तविक पहचान में आपकी कलम की धार और निष्पक्षता ही सर्वोपरि होनी चाहिए।
क्यूं अलग है ब्लॉगप्रहरी ?ब्लॉगप्रहरी पर पोस्ट खुलने की सुविधा होने के कारण आप पोस्ट वहीं पढ़ पाएंगे, और कोई कलमतोड़ू
लेखक इस मंच का उपयोग पाठक बुलाने के लिए नहीं कर पायेगा।
(3) यहां पर प्रकाशित पोस्ट पर पर 15 ब्लॉगप्रहरियों की नज़र होगी। आप स्वयं अपनी पोस्ट के प्रति उत्तरदायी होंगे और किसी भी तथ्य या प्रसंग का उल्लेख करने पर आपको उसकी मौलिकता और सच्चाई का पता होना चाहिए। किसी प्रहरी द्वारा किसी पहलू पर संबधित तथ्य का स्त्रोत मांगे जाने पर आपको उसको सामने रखना होगा। अगर आप अपने तथ्य के प्रति ईमानदार नहीं पाए गये तो आपको सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ेगी।
साफ शब्दों में कहें तो वह शेर तो आपने सुना ही होगा :
आपका मंच है आपको रोका किसने, अपने पोखर को समन्दर कहिए…वाला फंडा नहीं चल पायेगा।
इससे आपकी और पूरे ब्लॉग जगत की विश्वसनीयता बढ़ेगी और आपकी लेखनी भी जवाबदेह होने के कारण अधिक पैनी होगी।
(4)विशेष प्रहरी के तौर पर कई गणमान्य और वरिष्ठतम साहित्यिक, पत्रकार और बुद्धिजीवी शामिल होंगे जो यदा-कदा अपने शामिल होने का अहसास आपको कराते रहेंगे और आपको अहसास नहीं होने देंगे कि आपने उनकी प्रोफाइल लगा कर गलत फैसला लिया है। ऐसी अनेक नेक सहमति मिल चुकी हैं और मिल रही हैं।
इसके फायदे :—-इससे ब्लॉगजगत को हम वैकल्पिक मीडिया के रूप में स्थापित कर पाएंगे। यह स्पष्ट है कि
अगर कोई विशेष व्यक्तित्व शायद ही हम ब्लागरों को पढ़ने की हिम्मत जुटा पाता है, और अगर ब्लागर भी सामान्य कद का हो, तो उसके पास जाने का कोई विकल्प नहीं। अगर वह किसी एग्रीगेटर पर जाता है, तो जीवन में ब्लॉग पढ़ने की ग़लती वह दोबारा नहीं करना चाहेगा, क्योंकि संभवत: एक सौ पोस्ट के बाद एक पोस्ट पठनीय होती है। पर ब्लॉगप्रहरी विशिष्ट एग्रीगेटर है जो एक लेखक को पाठक के तौर पर Filtered posts,
monitered exposure and guaranteed readership देता है।
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हम खुद को ऐसे किसी भी तरह की परिभाषा स्थापित करने में नहीं उलझाना चाहेंगे कि अच्छा या बुरा ब्लॉगर कौन है या उसके क्या परिमाण हैं। पर यह तो तय है कि कुछ अच्छे ब्लॉगर हैं जो सर्वमान्य हैं। ऐसे ही ब्लॉगरों को साथ लेकर एक सुनहरे सपने को गति देने का यह प्रयास है।
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और क्या विशेष है ? ब्लॉगप्रहरी में—–(1) प्रतिदिन एक प्रविष्टि या चर्चाघर का निष्कर्ष सभी राष्टीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकों के पास स-नाम भेज दी जायेगी। और उनसे यह अपेक्षा होगी कि वह इनको विशेष स्थान दे कर प्रकाशित करें। इस सम्बन्ध में बड़ी सफलता मिली है और भविष्य में और पत्र- पत्रिकाएं हमसे जुड़ जायेंगी।
(2) ऑनलाईन रेडियो परिचर्चा का आयोजन पाक्षिक अन्तराल पर किया जायेगा। जिसके लिये स्टूडियो
का निर्माण हो गया है। भविष्य मे ब्लॉगप्रहरी हर रोज ब्लॉग समाचार वाचन की भी योजना पर अमल करेगा।
(3)एक परिवार की तरह ब्लॉगप्रहरी की टीम ब्लॉगजगत को वैकल्पिक मीडिया के रूप में स्थापित कर
दिशाहीन और दिग्भ्रमित मुख्यधारा के सामने एक आदर्श के रूप मे स्थापित करने के लिए वचनबद्ध हैं।
गलत बात करने वालो को दरकिनार किया जा सके .
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Mail us at:—————
admin@blogprahari.com
Or contact : +91-9313294888 ।
कृपया इस पोस्ट को अपने ब्लॉग पर लगाएं ।
अपने फ़ालोवर और लेखकों (अगर आपका ब्लॉग सामुदायिक है) तथा अन्य ब्लॉग मित्रों के मध्य इसी रूप में भेज दें। उनसे यह आग्रह करें कि वह अपने ब्लॉग पर यह पोस्ट लगाने के साथ इसे आगे भेज दें। यह क्रम बना रहे ताकि सब आगाह हो जाएं…”अब आ गया है…ब्लॉगप्रहरी’!!!!
इस कोड को अपने ब्लाग/साईट पर लगा एक आदर्श ब्लागर बनने की ओर बढ़े:
http://blogprahari.com">
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लम्बाई और चौड़ाई का निर्धारण अपने सुविधानुसार स्वय कर सकते हैं। उपर लाल रंग से दिखाया गया है।
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बहुत ही सूझ बुझ भरी पहल के लिए बधाई !! पर ये कोड जो आपने दर्शाए है इनको कॉपी नहीं कर पा रहे हैं !!
जवाब देंहटाएंइस एग्रीगेटर में बहुत खूबियां है .. इंतजार रहेगा इसका !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत स्वागत है.........
जवाब देंहटाएंउम्दा योजना..........
ब्लौग जगत के लिए आशा की नई किरण............
मैं मन से अभिनन्दन करता हूँ और समर्थन भी करता हूँ
sahi kadam
जवाब देंहटाएंब्लॉगप्रहरी के विषय में पढ़ा तो था लेकिन इतने विस्तार से जानकारी आपके माध्यम से मिल पाई । निश्चित ही इस प्रयास को सफलता मिलेगी और हम जैसे गम्भीर लेखन करने वाले अपनी बात पाठकों तक पहुंचा सकेंगे ।
जवाब देंहटाएंजैसा मानस के मोती को डॉ. प्रेम जनमेजय की ई मेल मिली :-
जवाब देंहटाएंब्लॉगप्रहरी का स्वागत है। निश्चित ही यह ब्लॉगरों को मर्यादित करेगा और ब्लॉग लेखन जो अभी अपनी बाल्यावस्था में होने के कारण बचपन सा उच्श्रृंखल है उसे परिपक्व करने के साथ साथ गंभीर भी करेगा। इससे सामाजिक सरोकारों से जुड़ा सार्थक लेखन सामने आ पायेगा।
इस प्रयास के लिए पुन: बधाई।
जनमेजय
Dr. Prem Janmejai
# 73 Saakshara Appartments
A- 3 Paschim Vihar, New Delhi - 110063
Phones:(Home) 011-91-11-25264227
(Mobile) 9811154440
अविनाश भाई आपने ठीक कहा कि - मानवीय प्रकृति में मनुष्य की संवेदना तभी जागृत होती है जब पीड़ा का अहसास प्रत्यक्ष रूप से हो।
जवाब देंहटाएंख्वाब से हँटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी
दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है
ब्लाग प्रहरी - एक सराहनीय प्रयास। बहुत विस्तार से आपने जानकारी दी जो अच्छा लगा। मैं ऐसे हर सार्थक प्रयासों के समर्थन में हूँ।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
आपका प्रयास सार्थक है।
जवाब देंहटाएंसफलता की कामना करता हूँ।
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया है यह तो ...इन्तजार रहेगा इसका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंये हुआ कुछ नया और सबके हित में.
जवाब देंहटाएंमैं तो पहले ही कह चूका हूँ की
ये ब्लोगिस्तान है और चलना संभल के