बिग बॉस के घर में (अविनाश वाचस्‍पति)

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • बिग बॉस के घर में इंसानों को बंद किया गया है और बंद होने के बाद वे जानवरों की तरह हरकतें कर रहे हैं। उनकी हरकतें अगर जानवर देख लें तो वे भी शर्मसार हुए बिना नहीं रहेंगे। चिडि़याघर अथवा पिंजरों में बंद जानवरों को जब दर्शक देखता है तो जानवरों को दर्शक भी दिखाई देते हैं जबकि बिग बॉस के घर में बंद या अपनी खुशी से कैद इंसानों की हरकतें, करतूतें और कारनामे तथा उनकी बातचीत सजीव दिखलाई सुनाई दे रही है परन्‍तु वे किसी दर्शक को देख नहीं पा रहे हैं जबकि जानवर भी दर्शक को देख सचेत हो जाता है। यहां उल्‍टी ही स्थिति होने वाली है उन्‍हें देख देख कर दर्शक ही अचेत न होने लगें। जबकि बंद इंसान जानते हैं कि उन्‍हें जिस सान पर चढ़ाया गया है वे टी वी के जरिए समूचे विश्‍व के सामने परोसा जा रहा है पर वे फिर भी उच्‍श्रंखलता की मिसाल बना रहे हैं। मतलब जानवरों से भी इंसान बदतर कैसे हो सकता है – इस शो को देखकर यह तो जाना ही जा सकता है।
    उल्‍लेखनीय है कि पाश्‍चात्‍य देशों के अंधानुकरण की दौड़ में हम महान भारतीय पहले तो नारी के वस्‍त्रों से खिलवाड़ कर चुके हैं, उन्‍हें विज्ञापन की जिंस बनाने और बाजार की वस्‍तु बना चुके हैं और अब इस तरह के क्रियाकर्म किस हेतु की प्राप्ति के लिए कर रहे हैं। सिर्फ और सिर्फ इसका ध्‍येय चैनलों को अपनी टी आर पी बढ़ाना ही प्रतीत होता है।

    24 टिप्‍पणियां:

    1. @ पहचान कहां बता पाता है नाम
      @ पार्थ


      विनयपूर्वक बस इतना ही कहना चाहता हूं कि न तो विरोध के शगल की कोई गल है और न पोस्‍ट के लिए विषयों का अकाल - आप मेरी सभी ब्‍लॉग की पोस्‍टें अगर पढ़ जायेंगे तो आपको लगेगा कि आपकी धारणा कितनी असही है।
      इससे अधिक और क्‍या चाहते हैं आप कि हाथापाई, मारकुटाई हो - जैसे गालियां तो चल ही रही हैं उसमें, बस उन्‍हें पी....इ....इ....... कर दिया जाता है।
      आप लोगों को यही पसंद आता है या आप चैनल से हैं अथवा बाजार के प्रभाव में - इसलिए आपके भाव समझ में आते हैं माननीय बंधुओं।

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    2. mudda to bahut achcha uthaya hai aapne........vaise is show mein dekhne wala hota kya hai........nothing.

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    3. अविनाश जी, शो तो जो है सो है, सबसे ज्यादा दयनीय है कल के एंग्री यंगमैन को रिंगमास्टर के रूप में देखना...

      जय हिंद...

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    4. avinash aapke jaisi hi vinamrta se main bhi kahana chahta hoon ki yah tippni sirf isi post par thi. sabhi par nahin. isliye sabhi ko padhne ki jaroorat bhi nahi hai....vaise, mujhe nahi lagta ki jitna bhi aapne likha hai wah bina dekhe likha hoga. aur aap to kewal likhne ke liye dekhte honge. ..aur bajar ke prabhav se aap bache hain, to aap durlabh hi huye.

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    5. @ पार्थ

      भैया पार्थ मैं लिखने के लिए और बिना लिखने, दोनों में से किसी के लिए नहीं देखता हूं। सिर्फ टी वी के सामने बैठे समय चल रहे लड़ाई, झगड़े के कुछ आम फहम दृश्‍य मैंने देखे हैं। कभी दूध गिराने और उसकी सफाई पर तकरार, कभी रोटी पकाने पर ...
      जिससे मुझे कुछ हासिल होता नहीं लगा। ऐसे दृश्‍य तो सभी के घरों में, झोंपडि़यों में नजर आ ही जायेंगे। इनमें विशेष इनका विशेष होना है।

      बाकी रही बाजार से बचने की बात, तो आजकल जीने के लिए बाजार जरूरत है। इससे बचना नामुमकिन है, न मैं बच सका हूं न कोई बच सकेगा, आपका यह मानना सही है। पर बाजार में संयत होकर तो रहा ही जा सकता है, जिसका मैं प्रयास करता रहता हूं।

      रही दुर्लभता की बात तो भाई मैं तो सदैव सुलभ हूं आप ही की तरह। अगर दुर्लभ होता तो मैं भी बिग बॉस के जंजाल में फंसा लिया गया होता। वो बात दीगर है गर बच गया होता।

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    6. @ आपकी विनम्रता के लिए आभारी हूं। ऐसी विनम्रताएं नुक्‍कड़ पर बनी रहनी चाहिएं। वरना मोहल्‍ला, भड़ास और नुक्‍कड़ में क्‍या अंतर रह जाएगा। वैसे अंतर नहीं भी है, हैं तो तीनों ही सामूहिक ब्‍लॉग ही।

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    7. भई मुझे नही पता मैने पिछले दो साल से टी.वी> ही नही देखा ।

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    8. कुछ इंसानों को कैद करके जानवरों को समझाया जा रहा है की देखो हम इंसान भी तुम्हारी ही बिरादरी के हैं !

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    9. big boss to ek akhada hai
      jane kis kis ko isme jugada hai
      jisne ghar ghar ko bigada hai

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    10. ve apne mksd men kamyab ho gye hain aap ko bnana tha ap bn gye jb ap ko ptaa hai ki ye hrkten theek nhi hai to kyon apnaa smya brbaad kr rhe ho janvron ke sath janver bnnaa jruri hai kya yaa to aap uneh rok skte to thik tha nhi to aur bhut se samajik visy hain jin pr bat honi chahiye aap ka janvron me kya aakrshn hai ydi hai to un se mel jhol bdhate rhiye
      dr ved vyathit

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    11. अविनाश जी ऎसे प्रोग्राम हमरे युरोप मे आम होते है, लेकिन यहां भी सभी इन्हे पसंद नही करते, क्योकि इन मे हद से ज्यादा गंद दिखाया जाता है, ओर यह स्यंम्बर भी यहां दिखाया जाता है जिस का नाम अलग होता है, लेकिन जब हम भारत मे ऎसे गन्डे प्रोगराम देखते है, जेसे कि आज कल पति पत्नि ओर ... तो सोचते है की इन लडकियो ओर लडको को इन के मां बाप केसे ऎसे प्रोगराम मे आने देते है,बिना शादि के पति पत्नि??
      आप ने बहुत अच्छी बात कही अपने इस लेख मै.मै तो कभी टी वी खास कर भारतीया देखता ही नही, क्योकि हमारे टी वी ओर फ़िल्मो मे युरोप से ज्यादा बकबास दिखाई जाती है, ज्यादा नंगा पन दिखाया जाता है, ओर बच्चो के संग् देखने मै हमे ओर बच्चो को भी शर्म आती है.
      धन्यवाद इस बहुत सुंदर लेख के लिये

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    12. विषय कहां मिलते हैं, ये भी तो एक विषय है। पार्थ शायद सही कह रहा है, हर विषय पर तो अविनाश की गजब पोस्ट मिल जाती है। अब विषय कोई कहां से लाए। अविनाश एक्सप्रेस दौड़ती है, चलती नहीं।

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    13. aji isape bhi????
      sach hi to he ki big boss me big animal..../ mujhe to lagtaa he ab bas porn ki hi der he..baaki sabkuchh to in channel par dekhaa jaa chukaa he/ bhartiyata ki esi tesi kese ki jaa sakti he in show se achhi tarah jaanaa jaa sakataa he/
      me aapse sahamat hu/

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    14. इस विषय पर यह नोक झोंक होनी ही थी , क्योंकि ब्लोग्गेर्स के पास प्रेम जताने का ,यही सबसे सुंदर तरीका है ,लगे रहो , बन्धुवों ...... टिप्पणी की टिप्पणी ..??॥

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    15. vaise ho sakta he jab big boss khud hi addaa jamaaye baithe hain fir kuchh bhi ho sakta he bhai

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    16. अप्रिय टिप्पणी के बावजूद आपकी लगभग सहज प्रतिक्रिया अच्छी लगी।

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    17. इन्हें कार्यक्रम ना ही कहा जाए ..इन्हें क्रियाकर्म कहना चाहिए

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    18. @ पार्थ


      कृपया बतलायें कि अप्रिय टिप्‍पणी कौन सी है और किसकी है, मुझे तो ऐसी कोई टिप्‍पणी इसमें दिखलाई नहीं दी है।

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    19. अविनाश भाई, मै तो ये टी वी देख नही पाता
      २ दिन पहले ऐसे ही देखा समझ नही आया कुछ

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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