पुलिस को शिकायत न करता तो क्या करता?

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  • Jagdeep S. Dangi
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  • मैं जगदीप सिंह दांगी मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के गंज बासौदा का निवासी होते हुये पिछले लगभग ढाई वर्षों से ग्वालियर में स्थित अटल बिहारी वाजपेयी — भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवम् प्रबंधन संस्थान में साइंटिस्ट/इंज़ीनियर के पद पर पदस्थ हूँ। मुझे इस संस्थान में यह नौकरी किसी की पहल से नहीं बल्कि मेरी अपनी योग्यता से मिली है। सॉफ़्टवेयर विकसित करना मेरी रूचि रही है और इसी के तहत मैंने अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी के लिए कई महत्वपूर्ण हिन्दी सॉफ़्टवेयर भी विकसित किये हैं, और हिन्दी सॉफ़्टवेयर विकसित करने पर मेरा नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड — 2007 में भी दर्ज किया जा चुका है। मुझे कंप्यूटर के क्षेत्र में हिन्दीकरण के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। केबिन केयर एविलिटी फ़ाउंडेशन ने राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार और एक लाख रूपये की राशि के साथ साथ वर्ष 2008 का मास्टरी अवार्ड नई दिल्ली में प्रदान किया।
    ग्वालियर की कई संस्थाओं ने मुझे कई सम्मान और पुरस्कार दिये हैं या यूँ कहें की ग्वालियर से दिये जाने वाले लगभग तमाम सम्मान और पुरस्कार मुझे मिले हैं। ग्वालियर के लोग मुझे तहे दिल से प्यार करते हैं। लेकिन जो घटना 25/09/2009 को मेरे साथ अपने ही संस्थान में घटी वह कभी भी नहीं भुलाई जा सकती। घटना दिनाँक 25/09/2009 की है, उक्त संस्थान द्वारा कुल सचिव श्री दिलीप कुमार की मंशा अनुसार सहायक प्राध्यापक श्री पंकज श्रीवास्तव एवम् सहायक प्राध्यापक गौरव अग्रवाल द्वारा हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका समापन दिनाँक 25/09/2009 को सांय 4 बजे रखा गया था।
    इसी कार्यक्रम के तहत दिनाँक 23/09/2009 को सांय 5 से 6 बजे तक मेरे द्वारा विकसित हिन्दी उपकरण के प्रज़ेटेशन का कार्यक्रम रखा गया, जिसे मैंने बखूवी पूरा किया। सभी विद्यार्थियों ने गहरी रुचि दिखाई और सभी ने कार्य की खूब प्रशंसा भी की। दिनाँक 24/09/2009 को सुबह लगभग 11 बजे सहायक प्राध्यापक श्री पंकज श्रीवास्तव जी का मुझे फ़ोन आया उन्होंने कहा कि जगदीप तुम्हारा कल 25/09/2009 को समापन समारोह में हम सम्मान करेंगे, तुम्हे उपस्थित रहना है, तुमने हिन्दी के लिये काफी अच्छा कार्य किया है, इस कारण हमने आपका सम्मान करने का निर्णय किया है। तो मैंने अपना बहार जाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया एवम् रेलवे रिज़र्वेशन भी कैंसिल करा दिया। परन्तु जब में निश्चित समय पर समापन समारोह में उपस्थित हुआ तो मुझसे बड़ा उपेक्षित व्यवहार किया गया किसी ने मुझसे बात तक नहीं की।
    इसी बात को लेकर मैं कार्यक्रम के पश्चात् अपने कक्ष के सामने गैलरी में सहायक प्राध्यापक श्री पंकज श्रीवास्तव जी से बात कर रहा था की तभी वहाँ सहायक प्राध्यापक श्री गौरव अग्रवाल आ गये और मुझसे बड़ी अभद्रता से बात—चीत करने लगे की तू बड़ा हिन्दी वाला बनता है हाँ तुझे बुलाकर सम्मान नहीं किया तो क्या कर लेगा मैंने कहा ऐसा क्यों वोल रहे हो तो वह एक दम आक्रामक हो गये और मुझमें धक्का देने लगे और बहुत ही गन्दी गालियाँ देते हुए वोले लंगड़े तू मुझे नहीं जानता मैं बुन्देलखण्ड से हूँ उठाकर नीचे फैंक दूँगा मर जायेगा और मुझमें दो—तीन धक्के मार दिये मैं गैलरी की दीवार से अड़ गया। तभी वहाँ मेरे भाई साहब ने मुझे बचाया वहीं कुछ गार्ड लोग भी आ गये थे तथा वह जान से मारने की धमकी देते हुये श्री पंकज श्रीवास्तव के साथ चले गये। और मुड़—मुड़ कर भी गलियाँ देते गये।
    मैं उक्त घटना से काफी घबरा गया एवम् भयभीत हो गया, मैं साईकिल से अपने भाई साहब के साथ डायरेक्टर साहब के बंगले पर जा कर घटना की शिकायत की उन्होंने कहा ठीक है मैं बहार जा रहा हूँ तुम मुझे लिखित में शिकायत भेज देना। उन्होंने तुरन्त कोई कार्यवाही नहीं की। मैंने फिर तुरन्त अन्य अधिकारियों को ई—मेल द्वारा सूचित किया, मैं काफी भयभीत और हताश हो चुका था। तब मेरे भाई साहब ने आटो रिक्सा बुला कर मुझे थाने ले गये, वहाँ मैंने लिखित आवेदन देकर शिकायत दर्ज करा दी। जिसकी तफ़्तीश पुलिस द्वारा की जाना जारी है।
    घटना के तीन दिन पश्चात् डायरेक्टर साहब आये तो मैंने उनसे संपर्क किया, तो मुझे उन्होंने उनके चैम्बर में बुलाया और मेरे साथ हुई घटना के प्रति सहानुभूति तो दूर बल्कि मुझे सीधे डाटते हुये कहा आपने थाने में रिपोर्ट क्यों की मैं मामला यहीं सुलझा देता और सब लोग मुझसे शिकायत वापस लेने हेतु दवाब बनाने लगे। वहाँ से मैं अपने घर आ गया हूँ। मैं काफी भयभीत हूँ मुझे कोई सुरक्षा एवम् सहयोग नहीं दिया जा रहा है, और जिन साक्षियों ने मौंके पर घटना देखी थी उन्हें धमकाया जा रहा है और इसी के तहत एक गार्ड को सस्पैंड भी कर दिया गया है। मैं वहाँ अस्थाई तौर पर पदस्थ हूँ और मुझे अपने भविष्य को लेकर भी डरवाया जा रहा है। इस घटना क्रम से दुःखी होकर मैं अवकाश लेकर अपने घर गंज बासौदा (जिला विदिशा) आ गया हूँ। आज भी और अभी भी मैं हैरान और परेशान हूँ कि आखिर उन लोगों को मुझसे क्या समस्या थी? मैंने उनका क्या बिगाड़ा था? मेरे साथ ऐसी अमानवीय घटना क्यों घटी? क्यों?

    42 टिप्‍पणियां:

    1. आजकल कोई किसी को आगे बढता देख कर खुश नहीं है..आपके साथ जो हुआ...गलत हुआ..

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    2. आप के भाई ने जो कुछ किया सही किया। आप सही हैं और एक दो गवाह आप के पास हों तो डटे रहिए। वरना शिकायत वापस ले लेने के बाद भी जिन लोगों ने जो कुछ करना है वह तो वे कर ही लेंगे। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हिन्दी के लिए काम करने वालों के साथ हिन्दी प्रिय लोग अवश्य खड़े होंगे।

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    3. main bhi shri raji ji se samahat hoon vastav main baat yahi hai.

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    4. ...गलत हुआ..!!
      दुनिया में कई तरह के लोग हैं ....हिम्मत न हारिये !!!

      घबराने की कोई जरूरत नहीं है !! डटे रहिये !!

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    5. आपने पुलिस मे शिकायत कर कोई गलत काम नहीं किया। यदि पुलिस भी आगे कार्रवाई नहीं करती है तो आप इसकी शिकायत मध्‍य प्रदेश के गृह मंत्री और मुख्‍य मंत्री से किजिए। फिर भी न्‍याय नहीं मिलता है तो सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाए। अदालतें आजकल काफी आक्रामक कार्रवाई कर रही है ऐसे गुंडों के खिलाफ। जिस गुंडे मास्‍टर ने आपको धक्‍के मारे और गालियां दी मुझे भी उसका नंबर दीजिए ताकि उसे उसकी ही भाषा में समझा सकूं।

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    6. शायद आपकी बढती ख्याति से वो जलभुन गए है, और आपको हटाना चाहते हैं आप वहा के विद्यार्थियों का सहारा लीजिये सारी बात बताइये, विद्यार्थी आपकी सहायता करेंगे |अपने साथ हुए इसी हादसे को टेम्पलेट में छाप कर प्रचार कर दें | बदनामी के भय से पुलिस भी आगे आएगी और तथाकथित लोग भी सहम जायेंगे | डरने से कुछ नहीं होगा हिम्मत और विवेक से काम लीजिये !!

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    7. "मैं बुन्देलखण्ड से हूँ उठाकर नीचे फैंक दूँगा "
      ये इलाकाई गुंडई फ़ैलाने वाले न जाने कब बाज आएंगे ?

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    8. भाई डांगी जी
      आप के साथ जो हुआ दुखद है लेकिन आप परेशान न हों1हम सब आपके साथ हैं1 आप बेशक कुछ दिन वहां से बाहर रहें और अपनी लड़ाई के हथियार बदलें। आपकी जीत होगी
      हम सब अापकी सलामती की दुआ करते हैं1 अभी तो आपको बहुत काम करना है
      सूरज

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    9. आप के साथ जो भी हुआ गलत हुआ, अब आप पुलिस से रिपोर्ट वापिस ना ले, क्योकि यह लोग अंदर से डरे है,अगर हो सके तो आप इस लेख की काफ़ी कापियां बनबा कर एक मिज्स्ट्रेट को, एक प्रधान मत्री को , एक राष्ट्र पति को एक पुलिस कमीशनर को भेज दे... फ़िर देखे केसे नही आप की सुनवाई नही होती, अपना ध्यान रखे, लेकिन डरे नही, यह लोग आप की सफ़लता से चिडते है, ओर अपनी ओकात दिखा रहे है.

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    10. 1. पुलिस रिपोर्ट को वापिस ग़लती से भी नहीं लेना. पुलिस से कोई ख़ास उम्मीद नहीं रखना पर पत्रकार मित्र आपका मुद्दा दबने न देने में सहायता कर सकते हैं.
      2. पुलिस राजीनामा कराए तो लिखापढ़ी के बाद ही करना लेकिन पुलिस के दस्तख्त के साथ.
      3. समाज में केवल ज्ञानवान होना ही नहीं चलता, ठस्से से रहना भी ज़रूरी होता है.
      4. छोटी-छोटी जगहों पर इस तरह की जलन आम बात है. फिर टीचिंग वगैहरा में तो यह चरमसीमा पर होती है, इस धंधे में सभी अपने आप को तीस मारखां समझते हैं, ज़ाहिर है वे अपने आप को बौना पाएंगे तो यूं ही करेंगे.
      5. संभव हो तो दिल्ली-बंबई सरीखे शहर का रूख करो, यहां बड़े आदमी होने का ठसका तो नहीं मिलेगा पर काम करने की आज़ादी कहीं ज़्यादा मिलेगी.
      6. इस किस्म के निदेशक-विदेशक सब एक ही थैली के चट्टे-वट्टे होते हैं, जो इनके तलवे चाटते हैं उन्ही की चलती है. ये अग्रवाल भी इस निदेशक का ख़ास पट्ठा होगा.
      7. ज़िंदगी में डरोगे तो एसे लोग छाती पर चढ़ बैठेंगे. डरने का नहीं. अब मूसल नहीं गिनने. Fire Back.

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    11. Bhai Jagdeep,
      aapke saath anyaay hua hai aur aapne shikayat karke sahi kaam kiya hai..
      ham sab aapke saath hai aur aap turant iss shikayat ki copy polise commissioner, home minister, chief minister, prime minister ko bhej de...
      Lekin mujhe lagta hai aap sammano se thoda duur hi rahe.. kewal pratishthit sammano ki hi parwah kare... toh sambhatah iss tarah ke tatvo ko galt fayada uthane ka avsar nahi milega...

      chittaranjan

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    12. आप काजल कुमार की बातों पर गौर करें। मुझे उनकी बातें काफी सही लगी। गौरव अग्रवाल और संस्‍थान के डायरेक्‍टर का फोन नंबर दीजिए, आपको गौरव अग्रवाल ने जितनी गालियां दी उससे भी तगड़ी गालियां मैं दूंगा जो उसके खानदान में किसी ने सात पीढि़यों तक न सुनी होगी और न सुन पाएंगे। वह कह रहा है बुंदेलखंड का हूं, उठाकर नीचे फेंक दूंगा...हम भी वीरों की धरती से हैं, साले की पूरी फाड़कर रख देंगे।

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    13. आदरणीय श्री कमल शर्मा जी आपने टिप्पणी में कहा है कि ‘‘गौरव अग्रवाल और संस्‍थान के डायरेक्‍टर का फोन नंबर दीजिए’’ — सो यह रहे नंबर—
      गौरव अग्रवाल:
      Mob: 09407224004
      डायरेक्‍टरः
      Mob: 09425786444
      Off: 0751—24497801,
      Fax: 0751—2449813
      डायरेक्टर महोदय से यह भी पूछें कि जब जगदीप घटना का शिकार होकर आपके पास आया तो आपने तुरन्त कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? और आप आज भी इंसाफ करने की जगह जगदीप पर ही रिपोर्ट वापस लेने का दवाब क्यों डाल रहे हो? उस अग्रवाल के खिलाफ़ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?

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    14. aap date rahen yadi aap sahi hain to darne ki koi baat hi nahin hai, ham sab aapke sath hain itni door baithkar jaise bhi sahyog kar sakta hoon karoonga.

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    15. aap ke saath unn logon ne jyadati kee hai jo mathadheesh banana chahate haine. aapp larate rahein.


      suresh nautiyal
      sampadak
      uttarakhand prabhat

      senior associate editor
      combat law magazine

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    16. Agar admin ko apne hi sath nahi denge to wo yahi karega. Uske alawa fir koi chara nahi bachta.

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    17. are yah ekdam ashobhniy hai
      IIITM jaise sansthan ka adhyapak is taraha bartav kara rha hai .
      Yah ekdam nidaniya hai.
      Sansthan ko uchit kadam uthana chahiye.

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    18. हद दर्जे की बेहूदगी है... डटे रहें। राज्‍य पुलिस ऐसे में क्‍या कर सकती है ये तो पत्रकार दोस्‍त तथा पल्‍ल्‍वी जी जैसे ब्‍लॉगर ही बता पाएंगे। हमारा समर्थन है आपको।

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    19. smmanliye bina kya need nhi aatee kya aap ke paas koi likhit suchna thi ydi nhi thi to aapko nhi jana chahiye tha aapne keval apna pksh rkha hai hmaare paas dusre ka pksh nhi hai ek trfaa nirny murkhta ke sivayaur kya hai ydi vyvstha se tkrana hai to fir gandi banana pdega jo log ap ko bans pr chdha rhe hain ve aap ki mdd ko nhi aane vale aap ko apni ldai khud ldni pdegiyh bhi schchai hai or net pr likhne se kuchh nhi hone wala vyvstha ki apni chal hai vh usi se chlegi ap us ke sath kitna chal paynge yh bhi dekh len khali shanubhuti se kya hoga gandhi bnne ke liye bhut kucg khona bhi pd skta hai ydi is ki taiyari hai to medan me dt jayen meri bhi shanubhuti ap ke sath hai

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    20. जगदीप जी,
      मेरी गौरव अगरवाल से फोन पर बात हुई है. उनका शायद कहना है की हमारे बीच कुछ कनफूजन जरूर हुई है और हमने इसको हल कर लिया है. यदि आप सही हैं तो अब डरने की बारी उनकी है. ये उनकी बातों से साफ़ जाहिर हो रहा है.

      आप पीछे न हटे, बाकी अपना ध्यान जरुर रखे और कोई भी बात हो तो यहाँ जरुर सूचित करे.

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    21. यह आपके साथ क्या हो गया। आपने हिंदी के लिए अच्छा काम किया है लेकिन शायद आपने दुनियादारी देखी नहीं है। पुरस्कार,सम्मान में क्या रखा है, हां यह जरुरी भी है लेकिन हमारे स्वाभीमान की आहुति देकर नहीं। जो भी हुआ बुरा हुआ। लेकिन आप कार्यालय छोडकर घर मत रहिए। संघर्ष करें लेकिन रणभूमि छोडकर नहीं। अपनी करियर क्यों चौपट कर रहे हो। कानूनी सलाह लेकर कार्यालय में अपना काम फिर शुरु करें। हो सकता है आपको कोई राह मिल जाए जो घर बैठकर नहीं मिलेगी।

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    22. हम कल इन गौरव जी से बात करके देखते हैं कि इनको क्या तकलीफ़ है। फ़ोन नं. तो आपने दे ही दिया है कल निपटते हैं आप पुलिस से कम्पलेंट वापिस नहीं लीजियेगा।

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    23. Priy bhai dangi ji, namaskar.
      Mujhe dukh hua yah ghatna padhkar. Mujhe poora vishvas hai ki aapke pratishthit sansthan ke shriman Agraval, nideshak ji aadi milkar aapke saath sammanpoorvak sulah karenge.
      Mujhe yah bhi asha hai ki Ganj Basuda ke hindi premi, Jhnsi ke hindi premi aapko har chhetra par sahyog denge. Saty ko kahna aur uski aavaj nyaayviruddh uthana jaroori hai.
      Aap jaise vyakti ka samay hindi ke vikas men jayada jaroori hai yah nideshak mahoday aur sabhi vibhagiy logon ko sochna chahiye.
      Mujhe yah bhi asha hai ki Bharat sarakr aur any IT se jude any uchch-adhikarigan aapki sahayta karenge aur untak baat pahunchegi, taki aapko kisi bahut bade sansthan se sahyog aur naukri ke liye aamantran bhi mile, aur sambhav ho to isi sansthan men aapko gauravpoorn tarakki bhi dilaye.
      Sabhi din ek se naheen hote, par haath men haat rakhkar bhi kuchh naheen hona.
      Apna sangharsh aur hindi seva dono jaari rakhiye. Safalta aapko jaroor milegi. sangharsh ke saath vivek se kary karna hai.
      Sharad Alok

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    24. हद है -कोई ब्लागर पत्रकार बन्धु उस क्षेत्र के हों तो कृपया मदद कर दें !

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    25. इस अत्याचार के खिलाफ एक ज्ञापन तैयार किया जाए और उसें सभी ब्लाॅगरों को उपलब्ध कराकर ग्वालियर कलेक्टर, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय को भी ईमेल कराया जाए।

      प्रमोद ताम्बट
      भोपाल
      www.vyangya.blog.co.in

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    26. Dear Jagdeep,
      i feel pity about it.
      it is the badluck of the institute that instead of supporting such a brilliant personality, these poor people are trying to avoid U.
      be stand tall, YAAR TUNE ITNE ACHCHHE KAAM KIYE HAIN,"GOD IS THRERE" and we all r there for U.
      Do not feel alone...
      and finally do not disturb your self with these issues, we expect more of our bhai JAGDEEP, who is doing excellent work.

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    27. आपके साथ घटी घटना के बारे में जानकर दुख हुआ जगदीप जी। काजल जी की बातों पर गौर करें। अपना कार्यालय ज्वाइन कर इस बुराई से लड़ें। हम सब आपके साथ हैं।

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    28. प्रिय डाँगी साहब
      जो भी सफलता के शिखर को छूता है, घाटी में बैठे लोग इसे सहन नहीं कर पाते. आप जैसे मेहनती, प्रतिभाशाली और सज्जन लोगों के साथ युगों-युगों से ऐसा ही होता आ रहा है. यह कोई अनहोनी नहीं है. आपके जवाब देने का वही तरीका सर्वोतम होगा जिसमें आपको आनंद आये और अंदर से शक्ति मिलती रहे. बुराई से लड़ने के लिए ये दो सच्चे दोस्त हैं जो सदा साथ रहते हैं.
      जो दबंग है वह ईट का जवाब पत्थर से देगा. जो बुद्धिजीवी है, वह बुद्धि से उन्हें बेनकाब करेगा और कानून का सहारा लेकर उन्हें परास्त करेगा. जो संत है, वह तो अपमान ही नहीं महसूस करेगा, उसकी ईष्र्याजन्य दीनता और पीड़ा पर उल्टे उन्हें सहानुभूति प्रदान करेगा. डाँगी साहब ! अगर आप अपने स्वभाव के अनुसार आचरण करेंगे तो भय नहीं होगा. दुनिया में भय नामक कोई चीज सत्य-पथ पर चलने वालों के लिए नहीं बनी है, यह मैं अपने अनुभव से जानता हूँ.
      हमलोग अग्रवाल सहित डायरेक्टर की भत्र्सना करते हैं और आपको अपना समर्थन देते हैं. आनंदपूर्वक लड़े. मेरा फोन नं.-09334149605 है.
      मटुकजूली

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    29. पुलिस क्या कर रही है ?
      उनके बड़े अधिकारियों से मिलिये

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    30. प्रिय डांगी जी

      आपके जो कुछ भी घटित हुआ वह शर्मनाक और दुखद है. यह सब ईर्ष्या और दुर्भावना के कारण है. आपकी प्रतिभा उन्हें पच नहीं रही है. आप जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति को ऎसे सड़े हुए संस्थान में नहीं रहना चाहिए जहां के निदेशक कार्यवाई करने के बजाए आपको ही डाटने लगें हों. आपको MNCs में अपने लिए प्रयास तेज करने चाहिए-- गुड़्गांव बंगलौर या हैदराबाद.

      हम आपके साथ हैं .

      ऎसे मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों का इलाज समय स्वयं कर देता है.

      रूपसिंह चन्देल

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    31. आपके साथ जो हुआ...गलत हुआ,आप के भाई ने जो कुछ किया सही किया, आप सही हैं घबराने की कोई जरूरत नहीं है, हिम्मत न हारिये, हम सब आपकी सलामती की दुआ करते हैं, अभी तो आपको बहुत काम करना है !

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    32. उनके इस तकलीफ भरे समय में ..लेकिन यही जंग मैंने छेड़ी हुई है... वहाँ भी तो कोई मेरा साथ दे ...! इस साथ का कहाँ कुछ मतलब रहता है? एक नीती धैर्य के अलावा? कुछ कृती करें, संघटित रूपसे, blogger जनहित याचिका दायर करें तब तो कोई बात बने !

      गर Doctor Dharam commission गर सुझाव मान लिए गए होते तो पुलिस किसी नेता के दबाव में आ नही सकती ...!पुलिस दल एक 'autonomous बॉडी' होनी चाहिए ना की, IAS अफसर और राजनेता की कठपुतली..उसकी जवाबदेही केवल जनतासे होनी चाहिए...नाकि, राजनेता को..

      सन 1981 से उच्चतम न्यायलय ने ये सुझाव तुंरत लागू करनेका आदेश दिया था ...उनकी अवमानना हो रही है ...और जनता अनभिग्य बैठी है ..!

      गर इस commission के सुझाव लागू कर दिए गए होते तो ये प्रसंग आता ही नही ....कोई दबाव डाल ही नही सकता ..

      http://lalitlekh.blogspot.com

      इस blogpe, 'गज़ब क़ानून ', जिन्हें नाज़ है हिंद्पे ',"Doc. धरमवीर National पुलिस commission' इस सभी के बारेमे मैंने विस्तृत लिखा है ....कुछ करना है , किसी की मदद करनी हो तो उसकी जड़ तक जाना चाहिए ..

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    33. हरियाणी कहावत है,गुण्डे का गुर जूत है,(गुण्डे की दवाई महागुण्डई है)साहित्यकार को इतना निर्बल समझना भ्रम मे रहना है,हम सब आपके साथ है,
      ड्ट कर मुकाबला होना चाहिए,यलगार हो,

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    34. आपके साथ बहुत दुखद हुआ है. हिम्मत न हारिये हम सभी आपके साथ हैं.

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    35. kuch log hote hain jo doosron ki unnati dekhkar bardast nahi kar pate hain.... bo log saamaj main ek Virus ki tarah hain jo desh ko to ganda kar hi rahe hain saath main apne maa baap ka name kharab kar rahe hain... main aapse ye kehna chahta hun ki aap apni report bapas na len tatha is baat ko media k samne layen taaki police k upar davav aa jaye aur aapko police protection mil sake.... star news sahara news india sabhi main

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    36. अन्याय कहीं भी
      हो+किसी के साथ हो+करने वाला
      कोई भी हो उसका विरोध तो अपने
      अपने तरीके से होना ही चाहिए|

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    37. घटना कुछ हज़म नहीं हो रही की आखिर जब उन्होंने खुद ही आपको सम्मान के लिए बुलाया था तो फिर सम्मान क्यों नहीं दिया . या तो वे लोग पागल हैं या बीच में कुछ और पेंच है , आप पुलिस में गए वो तो ठीक किया किन्तु मध्य प्रदेश में आजकल पुलिस कुछ नहीं कराती जबकि आर एस एस का आदेश न हो क्या आपने सब्बरवाल वाला मामला नहीं देखा विसे बाई दी वे जब सब्बरवाल की हत्या हुयी थी तब क्या एपी ने किसी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था?

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    38. sabhi bloggers ko is julm ke khilaph abhiyan chherane chahiye.yah hadasa kisi ke sath ho sakata hai.

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    39. आपके साथ जो अभद्रता हुई वह वाकई बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और हम सभी इसका विरोध करते। आपने हिन्दी के लिए जो कार्य किया उसे कौन नहीं जानता है। राष्ट्र को आप पर गर्व है। अगर शासन कुछ नहीं करता है तो आप महामहिम राज्यपाद महोदय से अपील कीजिए।

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    40. dangi ji aap dare nahi aur bejhijhak apna kaam karte rahe, main rajasthan me hun aur mera number main de raha hun, mujhse baat kariye main kuch kar paunga to jarur karunga- mera n0. 09799809220

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