अभी कुछेक दिन पहले एक ई मेल मिला। ई मेल में 'कबाड़खाना' ब्लॉग से एक जरूरी सूचना दी गई थी। 'जन संस्कृति मंच' के महासचिव प्रणय कृष्ण का एक वक्तव्यनुमा लेख था, जिसमें सूचित किया गया था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने हबीब तनवीर के प्रख्यात नाटक 'चरणदास चोर' पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रणय कृष्ण के लेख पर तुरंत प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गईं और बड़ी संख्या में बुध्दिजीवियों ने छत्तीसगढ़ सरकार की आलोचना की। वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने तो यहां तक लिखा कि सारे कलाकारों को इकट्ठा होकर छत्तीसगढ़ चलना चाहिए और वहां 'चरणदास चोर' का मंचन करना चाहिए। राजकिशोर ने लिखा कि वह छत्तीसगढ़ चलने के लिए तैयार हैं।
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार अपने कुत्सित कारनामों के लिए पहले से ही मशहूर है। मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ। विनायक सेन छत्तीसगढ़ सरकार की तानाशाही के चलते एक लम्बा वक्त जेल में गुजार कर आए हैं और आए दिन फर्जी मुठभेड़ों में निरीह और गरीब आदिवासियों को नक्सली बताकर मार देने की खबरें भी छत्तीसगढ़ में आम बात हो गई है। उधर हबीब साहब के ऊपर भी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी गुंडे हमले कर चुके थे और कई बार उनके नाटकों में इन भगवा आतंकवादियों ने विघ्न डाला था। लिहाजा प्रणय कृष्ण की सूचना पर बौध्दिक जमात का उद्विग्न होना लाजिमी था। लेकिन इसी बीच रविवार डॉट कॉम के संपादक आलोक पुतुल का एक मेल मिला जिसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ में 'चरणदास चोर' पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है बल्कि सतनामी समाज ने मुख्यमंत्री से मिलकर उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी और उस मांग पर सरकार की चुप्पी से यह भ्रम फैला। पूरा आलेख आप मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ सकते हैं। READ MORE..
'चरणदास चोर' और उदय प्रकाश
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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ये लेख हम पढ़ चुके हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंउपाध्याय जी का - चरणदास चोर और उदय प्रकाश - पढ़ा. बहुत अधिक निराशा हुई. अगर यह रिपोर्ट, प्रतिक्रिया, समीक्षा, विश्लेषण और न जाने क्या है....? तो दो दशक पुराने हिन्दी के दैनिक पत्रों के राजनैतिक संवाददाताओं की रिपोर्टिंग स्मरण हो आई. (उन दिनों मुहावरा प्रचलित था - हिन्दीछाप -). उपाध्याय जी शब्दों को खर्च करने में कंजूसी बरतिये और व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियों से बचिये इससे अब कुछ हासिल नहीं होगा.
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