छवि- अजन्ता शर्मा
अजंता शर्मा नोयडा से हिंदी की अत्यंत संभावनशील युवा कवयित्री हैं। ‘नुक्कड़’ के सुधी पाठकों के लिये मैं उनकी यहां एक कविता मल्हार प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसमें इस मौसम के अनुकूल एक सरस-सलिला प्रेम-विरह की बानगी निखर कर सामने आयी है जिससे आशा है, आप अभिभूत हुये बिना नहीं रहेंगें। आपसे अनुरोध होगा कि इनकी हौसला-आफ़जायी के लिये आप कविता पर अपनी ओर से टिप्पणी देना न भूलें- सुशील कुमार।
मल्हार
अचानक
किसी बसंती सुबह
तुम गरज बरस
मुझे खींच लेते हो
अंगना में .
मैं तुममें
नहा लेने को आतुर
बाहें पसारे
ढलक जाती हूँ .
मेरा रोम रोम
तुम चूमते हो असंख्य बार .
अपने आलिंगन में
भिगो देते हो
मेरा पोर पोर.
मेरी अलसाई पलकों पर
शीत बन पसर जाते हो.
माटी के बुलबुलों में छुपकर
मेरी पायल का
उन्माद थामते हो.
मेरा हाथ पकड़
जिस डार तले
तुम खींचते हो,
उसकी कनखियों से
मैं लजा जाती हूँ.
नाखूनों से खुरचती हूँ
जमीन.
और हाथ पसार
कुछ मुक्ता जुटाती हूँ.
शिख नख
तुम ह्रदय बन झरते हो.
मुझे हरते हो .
बारिश संग
जब
तुम बरसते हो
बेजोड़ !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंशब्दों का मधुर सामंजस्य.....................
अजन्ता, बस यही कहूँगा कि आपके अन्दर अपार संभावनाएं हैं.............
इस प्रतिभा को और निखारते रहिये......... लोगों तक पहुंचाते रहिये.....
मेरी ढेरों शुभकामाएं ...............
बहुत बढ़िया लगा! अजंता जी के लिए ढेर सारी शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंपहले भी ये बेजोड कविता पढ चुकी हूँ इस गतीशील कलम को बहुत बहुत आशीर्वाद लाजवाब्
जवाब देंहटाएंशुकामनाएं
जवाब देंहटाएंbehad khoobsoorat
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंसच कहूं तो यकीं करने को जी नहीं करता कि इतनी सब्स्टेंस वाली सामयिक कविता इतने युवा मन की उपज है.
जवाब देंहटाएंशब्दों में तरलता, नपा तुला लेआउट , और सबसे लाजवाब नारीसुलभ भाव और रोमांस एवं रोमांच की अनूभूति का नजुक वर्णन.
कवि नहीं हूं मगर प्रफ़ुल्लित हूं , तो अदबी लोगों का क्या हाल होगा.
lajawaab bundo me bhigne ki itni sundar mahimaa shayad hi kisi ne ko ho!!
जवाब देंहटाएंkhubsurat ehsaas kibaarish sunder
जवाब देंहटाएंkitane sundar aur satik shabd ..
जवाब देंहटाएंsundar kavita..
hardik badhayi..
बहुत बढिया. सुन्दर
जवाब देंहटाएंसचमुच बहुत बढिया .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंKAVITA BAHUT ACHCHHEE LAGEE HAI.
जवाब देंहटाएंBADHAAEE.
kya khoob likha hai.........bejod shabd,bejod bhav aur bejod prastuti.
जवाब देंहटाएंयह कविता इससे पूर्व भी पढ़ी थी और इसबार भी पढना उतना ही सुखद लगा......बहुत बहुत लाजवाब लिखती हैं अजंता जी.....
जवाब देंहटाएंसतत सुन्दर लेखन के लिए इन्हें अनंत शुभकामनायें.....
|बेटा ! मैं श्रीयुत सुशील कुमार जी का आभारी हूँ जो उन्होंने इस उभरते साहित्यकार की रचना तक मुझे पहुचाया |सादगी पूर्ण तरीके से साधारण शब्दों में ,कोई शब्दआडम्बर नहीं ,कोई पांडित्य प्रदर्शन नहीं सरल सुबोध रचना और प्राकृतिक वर्णन |आपको बहुत बधाई और उज्जवल भविष्य की शुभकामना
जवाब देंहटाएंatyant uttam kavita.........
जवाब देंहटाएंअति भावपूर्ण रचना.. सावन की सौंधी महक अपने संग पिरोती हुई ...
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat .
जवाब देंहटाएंbahut sundar ati sundar
जवाब देंहटाएंखुबसुरत मल्हार ।
जवाब देंहटाएंअजन्ता शर्मा से रुबरु करने के लिये धन्यवाद ।
सुन्दर रचना प्रेषित की है।आभार।
जवाब देंहटाएंकवियत्री अजंता शर्मा की कविता पहली वारपढ़ने का सुअवसर मिला,सहज और सघन अनुभूति की ताजगी से परिपूर्ण कविता के लिए कवियत्री और प्रस्तुतकर्ता दोनों को बधाई.
जवाब देंहटाएंbahut badiya likha hai. wakai main khoobsoorat hai
जवाब देंहटाएंawesome poem. really powerful talent.
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