लालू बोले ममता से,
अरे सुनिए ममता जी,
हम इतना दिन से,
ई रेल गाडिया सब को कतना बढिया चलाये थे,
चल रही थी ,
घाटे में कंपनी,
हम ही तो फायदा मंत्र बताये थे ,
मुदा पाहिले हमका,
ई पब्लिक ने हरवाया,
जुलम देखिये इसके ऊपर,
गठबंधन ने भी नहीं है पूछा,
उलटा हमई को लतियाया,
चलिए न झगडा ख़त्म करें,
आप बंगाली हम बिहारी,
आप आ जाओ हमरे डेरा,
नहीं ता हमही आते हैं आपकी बाडी ,
अरे रिश्ता भी बन सकता है ,
रक्षा बंधन की करो तैयारी...
तुम हमरी ममता दीदी ,
हम बन जाते हैं लालू दादा,
बहना हमरा पोर्टफोलियो वापसी का ,
करना होगा तुमका वादा ...
ठीक आछे दादा , आप बोलते
तो हम इस पर विचार कोरेगा ,
लेकिन दादा ई मंत्री पद ,
तो हम कैसे भी नई छोडेगा
आमरा दिमाग में आईडिया इक ठु,
जोर मारता है ताड़ा-ताडी ,
आम मिनिस्ट्री को हाफ हाफ कोर देगा,
कोर लिया है तैयारी....
दादा आमी चलाबो सुपरफास्ट ,
आप चलाओं सब मालगाडी ..
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भाई गाड़ी चाहे दादा चलाए या दादी...
जवाब देंहटाएंबस इतना पक्का है कि रेल हिमाचल तभी जाएगी जब इनकी जहग कोई पहाड़िया आएगा.
60 साल से इंतज़ार ही हो रहा है
दादी-दीदी मिल-बांट कर,
जवाब देंहटाएंखुब चलाये रेल,
जब-तक़ बनी तब तक़ ठीक,
वर्ना एक ही लाईन पर,
आमने-सामने छोड़ देंगे,
अपनी-अपनी रेल्।
हा हा हा हा,मस्त रचना।
और हां, काजल भाई हमारे यंहा तो एक रेल लाईन को मंज़ूरी मिलने के बाद भी लगता है दस-बीस साल तक़ उसपर कोई काम होने वाला नही है।
मिल-बाँट कर खाने का अलग ही मज़ा है
जवाब देंहटाएंमजेदार है दादा ...
जवाब देंहटाएंहा हा हा बहुत खूब शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं@ Anil Pusadkar
जवाब देंहटाएंएक दम सही कहा आपने, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिमाचल के लिए एकमात्र रेललाइन 1975 में तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मित्र ने सम्स्तीपुर बाम्ब कांड में जान खो देने से ठीक पहले घोषित की थी जो नंगल से तलवाड़ा तक जानी थी. आज 34 साल बाद भी यह केवल नंगल से उना (18-20 किलोमीटर) ही चली है. आगे काम चींटी के चाल से चल रहा है..
आमी चलाबो सुपेरफ़ास्ट, तोमि चलाओ मालगाड़ी...बहुत अच्छे ...दादा और दीदी ...वैसे भी रक्षा बंधन आ रही है ....
जवाब देंहटाएंपढ़कर मज़ा आ गया...
bhai aapsi batwaare ke chakar mai bechaare meerut ko mat bhool jaanaa.
जवाब देंहटाएंjhallevichar.blogspot.com
बहुत बढिया काव्यमय व्यन्ग. लालू की जगह अब इतिहास के कचरा पात्र मे़ तय हो गयी है. जिस बिहार के वो आयकोन बने फिरते थे उसने उन्हे़ ठुकरा दिया है.
जवाब देंहटाएंहर कोई अपने घर में रेल चलाता है। मेरे घर में भी आज तक रेलगाड़ी नहीं है। बढ़िया लेख है आपका.. मज़ा आया। (मुजे आपके ब्लॉग पर राखी सावंत वाली कविता नहीं मिली.. पढ़ना चाहता हूं..ज़रूर बताइयेगा)
जवाब देंहटाएंहर कोई अपने घर में रेल चलाता है। मेरे घर में भी आज तक रेलगाड़ी नहीं है। बढ़िया लेख है आपका.. मज़ा आया। (मुजे आपके ब्लॉग पर राखी सावंत वाली कविता नहीं मिली.. पढ़ना चाहता हूं..ज़रूर बताइयेगा)
जवाब देंहटाएंvaah jee vaah.....badhiya
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